श्रीमद्भागवतगीता में सनातन धर्म

Authors(1) :-डाॅ सुर्यकान्त त्रिपाणि

श्रीमद्भगवद्गीता का संस्कृत वाङ्मय में प्रमुख स्थान है। सनातन धर्म के महान ग्रन्थों में श्रीमद्भगवद्गीता का नाम बड़ी श्रद्धा के साथ लिया जाता है वस्तुतः यह महान ग्रन्थ महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत एक उपनिषद् है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली हुई दिव्य वाणी है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने विषाद्युक्त अर्जुन को तत्त्वात्मक उपदेश दिया है जिसके भाव अत्यन्त गहन हैं। यह कुल 18 अध्यायों में विभक्त है जिसमें 700 श्लोक दर्शनीय होते हैं। गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है।

Authors and Affiliations

डाॅ सुर्यकान्त त्रिपाणि
असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, भारत विश्वविद्यालय, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 25-28
Manuscript Number : GISRRJ181106
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ सुर्यकान्त त्रिपाणि, "श्रीमद्भागवतगीता में सनातन धर्म", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 1, Issue 1, pp.25-28, November-December.2018
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ181106

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