हिन्दी भाषा का विकास

Authors(1) :-डाॅ0 राजेश कुमार मिश्र

पालि की क्रिया रचना से ही हिंदी में प्रयुक्त होने वाली क्रियाओं का विकास होना प्रारंभ हो गया था, यथा - स्थितः थिअ (‘था‘ रूप में हिंदी में विकास), भवंति हुअंति (‘होता‘ रूप में हिंदी में विकास), भूतः हुआ (‘हुआ‘ या ‘हुयी‘ रूप मंे हिंदी में विकास)।’’

Authors and Affiliations

डाॅ0 राजेश कुमार मिश्र
सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, मर्यादा देवी कन्या पी0जी0 कालेज, बिरगापुर, हनुमानगंज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।

हिन्दी, भाषा, विकास, पालि, संस्कृत, परिवार।

  1. एन0टी0ए0 नेट/जे0आर0एफ0 सिरीज दृष्टि, प्रथम संस्करण - 2020, पेज नं0 4।
  2. एन0टी0ए0 नेट/जे0आर0एफ0 सिरीज दृष्टि, प्रथम संस्करण - 2020 पेज नं0 4।
  3. एन0टी0ए0 नेट/जे0आर0एफ0 सिरीज दृष्टि, प्रथम संस्करण - 2020 पेज नं0 4।
  4. हरिऔध ग्रंथावली खंड - 6, भाषा की परिभाषा, संपादन तरुण कुमार।
  5. हरिऔध ग्रंथावली खंड - 6, भाषा की परिभाषा, संपादन तरुण कुमार।
  6. हरिऔध ग्रंथावली खंड - 6, भाषा की परिभाषा, संपादन तरुण कुमार।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 1 | January-February 2021
Date of Publication : 2021-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 39-42
Manuscript Number : GISRRJ120336
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 राजेश कुमार मिश्र, "हिन्दी भाषा का विकास", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 1, pp.39-42, January-February.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ120336

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