वाल्मीकि रामायण में पर्यावरण चिन्तन

Authors(1) :-डाॅ॰ सुजीत कुमार

आज के औद्योगिक युग में बढ़ते हुए प्रदूषण की समस्या को हम रामायण कालीन व्यवहारों को अपनाकर अपने पर्यावरण को फिर से हरा भरा एवं नदी को जल से पूरित तथा पशु पक्षियों को अपना सहयोग देने में एक सफल भूमिका निभा सकते है।

Authors and Affiliations

डाॅ॰ सुजीत कुमार
असि॰ प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, कर्मक्षेत्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, इटावा,उत्तर प्रदेश,भारत।

रामायण, महर्षि वाल्मीकि, पर्यावरण, संस्कृत, साहित्य, भारतीय, चिन्तन।

१. वाल्मीकि रामायण ॰४/४६/॰१
२. वाल्मीकि रामायण ॰२/१५/॰६-॰८
३. वाल्मीकि रामायण ॰३/३५/११-१२
४. वाल्मीकि रामायण ॰३/३५/१३
५. वाल्मीकि रामायण ॰३/५॰/॰१
६. वाल्मीकि रामायण ॰२/५॰/१४-१५
७. वाल्मीकि रामायण ॰३/६४/॰९
८. वाल्मीकि रामायण ॰२/३७/३३
९. वाल्मीकि रामायण ॰२/४॰/१८-२॰
१॰. वाल्मीकि रामायण ॰२/५४/३॰-३१
११. वाल्मीकि रामायण ॰२/८॰/७
१२. वाल्मीकि रामायण ॰२/९१/४९-५॰
१३. वाल्मीकि रामायण ॰३/१५/१५
१४. वाल्मीकि रामायण ॰३/२६/३६

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 1 | January-February 2021
Date of Publication : 2021-02-28
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 101-105
Manuscript Number : GISRRJ120344
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ॰ सुजीत कुमार, "वाल्मीकि रामायण में पर्यावरण चिन्तन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 1, pp.101-105, January-February.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ120344

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