Manuscript Number : GISRRJ120344
वाल्मीकि रामायण में पर्यावरण चिन्तन
Authors(1) :-डाॅ॰ सुजीत कुमार आज के औद्योगिक युग में बढ़ते हुए प्रदूषण की समस्या को हम रामायण कालीन व्यवहारों को अपनाकर अपने पर्यावरण को फिर से हरा भरा एवं नदी को जल से पूरित तथा पशु पक्षियों को अपना सहयोग देने में एक सफल भूमिका निभा सकते है।
डाॅ॰ सुजीत कुमार रामायण, महर्षि वाल्मीकि, पर्यावरण, संस्कृत, साहित्य, भारतीय, चिन्तन। १. वाल्मीकि रामायण ॰४/४६/॰१ Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 1 | January-February 2021 Article Preview
असि॰ प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, कर्मक्षेत्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, इटावा,उत्तर प्रदेश,भारत।
२. वाल्मीकि रामायण ॰२/१५/॰६-॰८
३. वाल्मीकि रामायण ॰३/३५/११-१२
४. वाल्मीकि रामायण ॰३/३५/१३
५. वाल्मीकि रामायण ॰३/५॰/॰१
६. वाल्मीकि रामायण ॰२/५॰/१४-१५
७. वाल्मीकि रामायण ॰३/६४/॰९
८. वाल्मीकि रामायण ॰२/३७/३३
९. वाल्मीकि रामायण ॰२/४॰/१८-२॰
१॰. वाल्मीकि रामायण ॰२/५४/३॰-३१
११. वाल्मीकि रामायण ॰२/८॰/७
१२. वाल्मीकि रामायण ॰२/९१/४९-५॰
१३. वाल्मीकि रामायण ॰३/१५/१५
१४. वाल्मीकि रामायण ॰३/२६/३६
Date of Publication : 2021-02-28
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 101-105
Manuscript Number : GISRRJ120344
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ120344