हिन्दी वर्णमाला के उद्भव में पाणिनीय प्रभाव

Authors(1) :-डॉ. लेखराम दन्नाना

समाज, संस्कृति एवं साहित्य की परिपोषक जो भाषाएँ हैं, भारत उन भाषाओं का भण्डार है। भारत में अनेक भाषाएँ हैं, जिनको हम भारतीय भाषा की संज्ञा देते हैं, अतः भारत एक बहुभाषी देश है । पाश्चात्य विद्वानों ने इसे भाषा परीक्षण की प्रयोगशाला तक कहा है । जहाँ उत्तर की ओर हिन्दी, उर्दु, पंजाबी, कश्मीरी इत्यादि भाषाओं का प्रयोग होता है , वहीं दक्षिण की ओर द्रविड़ परिवार की तमिल, तेलुगु, कन्नड, मलयालम आदि भाषाओं का प्रयोग होता है । ऐसे ही पश्चिम पूर्व और मध्य देश में विभिन्न भाषाओं एवं विभाषाओं का प्रयोग दिखाई देता है । जैसे- गुजराती, मराठी, बंगला, असमिया, उडिया, मणिपुरी इत्यादि। भारत जो भाषा प्रयोगशाला के रूप में जाना जाता है, उस भाषा प्रयोगशाला का आधार संस्कृत भाषा है । संस्कृत भाषा एक विशिष्ट भाषा है, जिसने भारत को स्वर्णिम चिड़िया की संज्ञा दिलायी है । जिसने संस्कृति को जीवित रखा है, जिसने साहित्य को मूर्धन्य स्थान दिया है, साहित्य को उस शिखर तक पहुँचाया है जिस शिखर से सभी ज्ञान अर्जित कर लाभान्वित हो रहे हैं । संस्कृत का व्याकरणिक पक्ष सुदृढ़ है जिससे अन्य भाषाओं के व्याकरण को भी सुदृढ़ता मिलती है । संस्कृत व्याकरण से प्रायः प्रत्येक भारतीय एवं वैदेशिक भाषाएं प्रभावित हुई हैं । भारतीय भाषाओँ में हिंदी के ऊपर विशेष रूप से प्रभाव परिलक्षित होता है । हिंदी के प्रत्येक व्याकरणिक तत्त्व पर पाणिनीय व्याकरण का प्रभाव दिखाई पड़ता है । पाणिनीय व्याकरण का हिंदी वर्णमाला पर जो विशिष्ट प्रभाव है, वह इस आलेख में प्रस्तुत है ।

Authors and Affiliations

डॉ. लेखराम दन्नाना
सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।

व्याकरण, सूत्र, वर्णमाला, स्थान, प्रयत्न, मात्रा ।

  1. अष्टाध्यायी, आचार्य पाणिनि, रामलाल कपूर ट्रस्ट सोनीपत, हरियाणा ।
  2. पाणिनीयधातुपाठ:, आचार्य पाणिनि ,रामलाल कपूर ट्रस्ट, सोनीपत, हरियाणा 1985 ।
  3. पाणिनीय शिक्षा , आचार्य शिवराज कौन्दिनायन,चौखम्भा विद्या भवन, वाराणसी. उत्तरप्रदेश ।
  4. वर्णोच्चारणशिक्षा, दयानन्द सरस्वती , रामलाल कपूर ट्रस्ट सोनीपत, हरियाणा ।
  5. संस्कृत एवं संस्कृति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद,प्रभात प्रकाशन,दिल्ली ।
  6. भाषिकी और संस्कृत भाषा, डॉ. देवीदत्त शर्मा, हरियाणा साहित्य अकादमी, चण्डीगढ़,हरियाणा ।
  7. हिंदी भाषा शिक्षण, भाई योगेन्द्र जीत, विनोद पुस्तक मंदिर ,आगरा, उत्तरप्रदेश ।

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 1 | January-February 2024
Date of Publication : 2024-01-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 51-57
Manuscript Number : GISRRJ124716
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. लेखराम दन्नाना, "हिन्दी वर्णमाला के उद्भव में पाणिनीय प्रभाव ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 1, pp.51-57, January-February.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ124716

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