भारत छोड़ो आंदोलन में डाॅ0 अनुग्रह नारायण सिंह की भूमिका

Authors(1) :-डाॅ0 अजीत सिंह

भारत छोड़ो आंदोलन को ‘अगस्त क्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था, जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। 8 अगस्त 1942 के अखिल भारतीय कांग्रेस की बम्बई-बैठक में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के प्रस्ताव की मंजूरी मिलने के साथ ही 9 अगस्त 1942 को गाँधीजी के आह्वान पर यह आंदोलन पूरे देश में एक साथ आरंभ हुआ। हालांकि आंदोलन के आरंभ होने के साथ ही महात्मा गाँधी सहित कांग्रेस के अनेक बड़े नेता गिरफ्तार कर लिये गए, लेकिन बिहार इस मामले में सौभाग्यशाली रहा, जहाँ अपनी गिरफ्तारी के पूर्व ही राजेन्द्र बाबू ने श्रीबाबू, अनुग्रह बाबू एवं अन्य वरीय नेताओं से परामर्श कर नेतृत्व के अभाव में संघर्ष का एक ठोस कार्यक्रम तैयार कर लिया था। 9 अगस्त को राजेन्द्र प्रसाद की गिरफ्तारी के अगले दिन ही अनुग्रह बाबू एवं श्रीकृष्ण बाबू भी गिरफ्तार कर लिये गए, लेकिन आंदोलन का जोर थमा नहीं। प्रमुख नेताओं के जेल चले जाने के बाद नेतृत्व के अभाव में लोगों के बीच से नेतृत्व उभरा, संघर्ष का कार्यक्रम तो पहले से तैयार था ही। आंदोलन के दौरान पूरे बिहार में रेल की पटरियाँ उखाड़ी गई, तार और टेलीफोन की लाईनें काटी गई, डाकघरों, रेलवे स्टेशनों, थानों तथा अन्य सरकारी इमारतों को जलाया गया तथा पुलिस पर आक्रमण किये गए। दरअसल ब्रिटिश सरकार की हिंसक कार्रवाई की प्रतिक्रिया में लोगों का गुस्सा भी हिंसक गतिविधियों में बदल गया। पटना में सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान 7 युवा छात्र शहीद हो गए। बिहार में गया, भागलपुर, सारण, पूर्णिया, शाहाबाद, मुजफ्फरपुर और चंपारण स्वतःस्फूर्त जन विद्रोह के मुख्य केन्द्र बन गए। इसी तरह बिहार के तिरहुत प्रखंड में तो दो सप्ताह तक कोई सरकार ही नहीं थी और मध्य बिहार के 80 प्रतिशत थानों पर जनता का राज हो गया था। यह अलग बात है कि इतना होने के बावजूद आंदोलन अपने ‘पूर्ण स्वराज्य’ के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सका, लेकिन अनुग्रह बाबू का परिश्रम बेकार नहीं गया। भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की उल्टी गिनती शुरू हो गई और आजादी का समय नजदीक आ गया।

Authors and Affiliations

डाॅ0 अजीत सिंह
इतिहास विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना, भारत

औपनिवेशिक स्वराज्य, पूर्ण स्वराज्य, सत्याग्रह, सुरक्षा-बंदी, माक्र्सवादी, साम्यवादी, साम्राज्यवादी, धुरी राष्ट्र, मित्र राष्ट्र।

1. दत्त, के0के0, बिहार में स्वातंत्र्य आंदोलन का इतिहास, खण्ड-2, बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी, पटना, 1998, पृ0 332
2. बिहार सरकार, नियुक्ति विभाग, फाईल संख्या ई0सी0-8/1937, बिहार राज्य अभिलेखागार, पटना।
3. दत्त, के0के0, पूर्वोक्त, पृ0 343
4. बिहार सरकार की पाक्षिक रिपोर्ट, अप्रैल, 1940
5. सिंह, अनुग्रह नारायण, मेरे संस्मरण, बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय, पटना, 2012, पृ0 265
6. वही, पृ0 267
7. दत्त, के0के0, पूर्वोक्त , पृ0 374
8. द इंडियन नेशन, पटना, 31 मार्च 1942
9. श्रीवास्तव, एन0एम0पी0, बिहार में राष्ट्रीयता का विकास, बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी, पटना 1998, पृ0 132
10. दत्त, के0के0 बिहार में स्वातंत्र्य आंदोलन का इतिहास, खण्ड-3, बिहार, हिन्दी ग्रंथ अकादमी, पटना, 1999, पृ0 28
11. कांग्रेस रिस्पान्सिविलिटी फाॅर दि डिस्टर्बेंस (1942-43), भारत सरकार, नई दिल्ली, 1943, पृ0 80
12. हरिजन, अहमदाबाद, 29 मार्च, 1942
13. पुलिस अधीक्षक, पटना द्वारा 12 अगस्त 1942 को डी0आई0जी0 बिहार को प्रेषित गोपनीय रिपोर्ट, पाॅलिटिकल स्पेशल फाईल संख्या-70/1942, बिहार राज्य अभिलेखागार, पटना (सरकारी रिपोर्ट में अनुग्रह बाबू की गिरफ्तारी की तिथि 11 अगस्त दर्ज है)
14 मेरे संस्मरण, पृ0 317
15. श्रीवास्तव, एन0एम0पी0, पूर्वोक्त, पृ0 155-56
16. बिहार सरकार की रिपोर्ट, 21 जुलाई, 1944
17. दत्त, के0के0 पूर्वोक्त, पृ0 290
18. बिहार सरकार की पाॅलिटिकल रिपोर्ट, 4 अगस्त, 1944
19. दत्त, के0के0, पूर्वोक्त, पृ0 302

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 54-63
Manuscript Number : GISRRJ181112
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 अजीत सिंह, "भारत छोड़ो आंदोलन में डाॅ0 अनुग्रह नारायण सिंह की भूमिका", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 1, Issue 1, pp.54-63, November-December.2018
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ181112

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