वैशेषिक दर्शन में समवाय और उसके विषय में श्रीवल्लभाचार्य का दृष्टिकोण

Authors(1) :-डाॅ0 उधम मौर्य

समवाय संयोग के समान ही एक सम्बन्ध है। क्योंकि यह भी विशोष्यविशोषण भाव का नियामक है। मर्हिष कणाद का मत है कि कारण और कार्य में जो सम्बन्ध है, वही समवाय है। आचार्य श्रीवल्लभ का मत है कि जो विशिाष्ट व्यवहार भावमात्रविषयक होता है तथा अबाधित होता है, वह सम्बन्ध-नियत होता है। गोत्व जाति का समवाय सम्बन्ध रहने ही पिण्ड विशोष को गो शब्द से व्यहृत करते हैं। गोत्व का यह वैशिाष्ट्य ही समवाय की नियमन सत् के द्वारा गो, व्यक्तियों में गोत्व के अवभास को उत्पन्न करता हैं। तात्पर्य यह है कि समवाय यद्यपि एक है फिर भी अपने विशोष में ही विशोष समय में रहने के स्वभाव के कारण जिस समय जहाँ गोत्व की सत्ता रहती है, वही गौः इस प्रतीति को उत्पन्न करता है अर्थात् जहाँ जिस अधिकरण में गोत्व का अत्यन्ताभाव है वहाँ ’’अयं गौः’’ इस प्रकार की प्रतीति को वह उत्पन्न नहीं करता। समवाय में जो अधिकरण विशोष में, समय विशोष गोत्व को अवभासित करने की शक्ति है, वही समवाय की गोत्व व्यंजिका शक्ति है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 उधम मौर्य
भूतपूर्व शोधछात्र, दर्शन एवं धर्म विभाग, कला संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी,उत्तर प्रदेश, भारत।

द्विपृथकत्व, विशोषणता और विशोष्यता, ’स्वात्मगतसंवेदनाभावाच्च’, आश्रयीभूत।

  1. इहेदमितियतःकार्यकारणयोःससमवायः।वैशेषिकसूत्र 7/2/26
  2. 7/2/26 परशंकरमिश्रकाउपस्कार
  3. अयुतसिद्धनामाधार्याधारभूतानांयःसम्बन्धःइहप्रत्यक्षहेतुःससमवायः।प्र0भाष्यपृ0 773
  4. वही- 777
  5. सम्बन्ध्यनित्यत्वेऽपिनसंयोगवदनित्यत्वंभाववदकारणत्वात्।वही- पृष्ठ 782
  6. वही- 784-785
  7. न्यायकन्दली, वाराणसी 1997, पृ0 784-785
  8. न्यायकन्दली, पृ0 708-10
  9. वही- पृ0 719
  10. वहीपृ0 719-20
  11. संसृष्टासंसृष्टत्वजिज्ञासायांसत्यांभेदारोपएवसम्बद्धत्वारोपः।वही- पृ 720
  12. ज्ञातोऽयंघटइत्यत्रापिसामानाधिकरण्यबोधवलेनसम्बन्धप्रसक्तिरितिचेत्।वही- पृ0720
  13. वही- पृ0 721
  14. अन्यथाविचित्रप्रत्ययानुपपत्तेः।न्यायलीलावती- पृ 721-22

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 80-84
Manuscript Number : GISRRJ181116
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 उधम मौर्य, "वैशेषिक दर्शन में समवाय और उसके विषय में श्रीवल्लभाचार्य का दृष्टिकोण", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 1, Issue 1, pp.80-84, November-December.2018
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ181116

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