न्यायदर्शन में वाचस्पति मिश्र का स्थान

Authors(1) :-डॉ. दिनेश कुमार झा

आस्तिक दर्शनों का उद्धार करने के कारण वाचस्पति का ऋण भारतीय संस्कृति के अनुगामियों पर है किन्तु जैसी विकट परिस्थिति में शताब्दियों से प्रताड़ित और उपेक्षित न्यायदर्शन का उन्होंने उद्धार किया उसका ऋण सर्वाधिक है। अतः वैदिक संस्कृति संरक्षको के शिरोमणि वाचस्पति को कहने में कोई अत्युक्ति नहीं मालूम पड़ती।

Authors and Affiliations

डॉ. दिनेश कुमार झा
ग्रा.पो. अंधराठाढी, जि. मधुबनी, बिहार, भारत।

न्यायदर्शन, वाचस्पति मिश्र, भारतीय संस्कृति, आस्तिक दर्शन।

  1. स्कन्द पुराण- गीता प्रेस, गोरखपुर
  2. तर्कभाषा- केशव मिश्र, चौखम्भा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी।
  3. न्यायकोष- म.म. भीमाचार्य, भण्डारकर प्राच्विद्या शोध संस्थान, पूना।
  4. न्यायबिन्दु- धर्मकीर्ति, धर्मोत्तरचार्य की टीका सहित, चौखम्बा, वाराणसी
  5. न्यायभाष्यम्- वात्स्यायन, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली।
  6. न्यायभाष्यवार्त्तिकम्- उद्योतकर, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली।
  7. न्यायभाष्यवार्त्तिकतात्पर्यटीका- वाचस्पति मिश्र, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली।
  8. बौद्धतर्कभाषा- मोक्षकरगुप्त, प्राच्यप्रकाशन, वाराणसी।
  9. मध्यमकशास्त्र और विग्रहव्यावर्तनी- नागार्जुन, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली।

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 85-91
Manuscript Number : GISRRJ181118
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. दिनेश कुमार झा, "न्यायदर्शन में वाचस्पति मिश्र का स्थान", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 1, Issue 1, pp.85-91, November-December.2018
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ181118

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