ठुमरी की उत्पति और विकास

Authors(1) :-डाॅ0 विजय कुमार सिंह

भारतीय शास्त्रीय संगीत में मुख्यतः कई गायन शैलियाँ विद्यमान हैं। ध्रुपद-धमार, ख्याल जो शास्त्रीय गायन शैली के अन्तर्गत आते हैं। ख्याल गायन शैली के बाद उप-शास़्त्रीय संगीत के अन्तर्गत ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती, होरी आदि आते हैं। भारतवर्ष में मुख्यतः चार ठुमरी के घराने विकसित हुए, जिसमें पंजाब, लखनऊ, बनारस एवं गया (बिहार) मुख्य केन्द्र रहा है। इन्हीं चार घरानों से पूरे भारतवर्ष में ठुमरी गायन शैली का विकास हुआ और वर्तमान समय में इस गायन शैली को कलाकारों ने जीवित रखा है। ठुमरी शब्द का व्यवहार हिन्दुस्तानी संगीत की एक विशेष गेयविद्या के लिए किया जाता है। ठुमरी शब्द श्रृंगार रस एवं भक्ति प्रधान अभिन्यात्मक गायन शैली है। इस शैली में स्वर और शब्द का समान महत्व है। ठुमरी बन्दिशों में प्रयुक्त एक-एक शब्द के भाव को स्वर के माध्यम से अर्थवान बनाते हुए श्रोताओं को रसिक्त किया जाता है। इस शैली के प्रस्तुतिकरण में स्वर में माधुर्य लोच और नृत्य का भाव होना चाहिए। जिस प्रकार नर्तक हाव भाव से भाव अदा करता है, उसी प्रकार ठुमरी में गायक अपनी गायकी द्वारा भावों को प्रस्फुटित करता है। ठुमरी के गायकों में नवाब वाजिद अली शाह, बड़े गुलाम अली खा, बेगम अख्तर, महादेव मिश्र (बनारस), विदुषी गिरिजा देवी, पंडित छन्नुलाल मिश्र, रामूजी (गया), जयराम तिवारी, मौजूद्दीन खाँ, कामेश्वर पाठक, राजेन्द्र सिजूआर, पंडित राम प्रकाश मिश्र (छपरा) इत्यादि कलाकारों ने ठुमरी गायन शैली को आगे बढ़ाने में अविस्मरणीय योगदान रहा है। ठुमरी गायन शैली में चंचल प्रकृति के रागों में गायी जाती है। खमाज, भैरवी, पीलू, तिलककामोद, झिंझोटी, काफी एवं मांड इत्यादि रागों में ठुमरी गायन शैली को प्रस्तुत किया जाता है और श्रोता मंत्रमुग्ध होते हैं। ठुमरी गायन शैली में तालों का विशेष महत्व है। कलाकार प्रस्तुति करते समय जत, तीनताल एवं कहरवा तालों का चुनाव किया जाता हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ0 विजय कुमार सिंह
संगीत शिक्षक, रामबाबू + उच्च वि0 हिलसा, नालन्दा।, भारत।

ठुमरी, उप-शास्त्रीय, अभिन्यात्मक, अविस्मणीय, राग, ताल इत्यादि।

  1. ठुमरी की उत्पति, विकास और शैलियाँ-शत्रुघ्न शुक्ल
  2. बिहार की संगीत परम्परा -गजेन्द्र नारायण सिंह
  3. शास्त्रीय संगीत की मधुरिमा ठुमरी:- भारती राठौड़
  4. ठुमरी परिचय:- श्रीमती लीला कालवर
  5. म्यूजिकल हेरिटिजस आॅफ इंडियाः- डाॅ0 एम0 आर0 गौतम
  6. शोध-प्रबंधः- डाॅ0 विजय कुमार सिंह

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | November-December 2018
Date of Publication : 2018-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 124-127
Manuscript Number : GISRRJ181125
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 विजय कुमार सिंह , "ठुमरी की उत्पति और विकास", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 1, Issue 1, pp.124-127, November-December.2018
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ181125

Article Preview