व्याकरण एवम् भाषाशास्त्रविमर्श

Authors(1) :-प्रवीन कुमार

आचार्य पाणिनि ने इन्हीं पदजातियों में से नाम एवम् आख्यात को पद संज्ञा से अभिहित किया है। यहाँ यह समझना आवश्यक है कि आचार्य पाणिनि दो पद जातियों को स्वीकार किया यह भ्रमात्मक तथ्य है। आचार्य पाणिनि ने कहीं यह नहीं कहा है कि नाम और आख्यात की ही पद संज्ञा होती है और न यह भी कहा की उपसर्ग और निपात पद नहीं हैं। जो उन्होंने यह कहा कि सुप्तिङन्तं पदं। इसका अर्थ समझने में हम गलती करते हैं इस सूत्र का अर्थ है कि नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात में जब सुप् प्रत्यय और तिङ् प्रत्यय लगते है तब पद संज्ञा से अभिहित होते हैं।

Authors and Affiliations

प्रवीन कुमार
शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, इविवि, प्रयागराज, भारत

नाम, आख्यात, उपसर्ग, निपात।

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019
Date of Publication : 2019-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-04
Manuscript Number : GISRRJ19211
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

प्रवीन कुमार, "व्याकरण एवम् भाषाशास्त्रविमर्श", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 1, pp.01-04, January-February.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19211

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