Manuscript Number : GISRRJ19211
व्याकरण एवम् भाषाशास्त्रविमर्श
Authors(1) :-प्रवीन कुमार आचार्य पाणिनि ने इन्हीं पदजातियों में से नाम एवम् आख्यात को पद संज्ञा से अभिहित किया है। यहाँ यह समझना आवश्यक है कि आचार्य पाणिनि दो पद जातियों को स्वीकार किया यह भ्रमात्मक तथ्य है। आचार्य पाणिनि ने कहीं यह नहीं कहा है कि नाम और आख्यात की ही पद संज्ञा होती है और न यह भी कहा की उपसर्ग और निपात पद नहीं हैं। जो उन्होंने यह कहा कि सुप्तिङन्तं पदं। इसका अर्थ समझने में हम गलती करते हैं इस सूत्र का अर्थ है कि नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात में जब सुप् प्रत्यय और तिङ् प्रत्यय लगते है तब पद संज्ञा से अभिहित होते हैं।
प्रवीन कुमार नाम, आख्यात, उपसर्ग, निपात। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, इविवि, प्रयागराज, भारत
Date of Publication : 2019-01-30
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Page(s) : 01-04
Manuscript Number : GISRRJ19211
Publisher : Technoscience Academy
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