महाकवि बाणभट्ट का परिचय

Authors(1) :-दीनानाथ मिश्र

गद्यकाव्य के क्षेत्र में बाणभट्ट का वही स्थान है जो पद्यकाव्य में कालिदास का है। बाणभट्ट सम्राट हर्षवर्धन के सभापण्डित थे। इनका काल सातवीं शताब्दी का पूर्वार्ध है। आख्यायिका हर्षचरितम् में इन्होंने अपना परिचय विस्तार से दिया है। कथाग्रन्थ कादम्बरी इनकी विख्यात रचना है। इनका गद्य पर असाधारण अधिकार था। इनके सम्बन्ध में – वश्यवाणी कविचक्रवर्ती, बाणोच्छिष्टं जगत्सर्वम्, वाणी बाणो बभूव इत्यादि आभाणक प्रसिद्ध है।

Authors and Affiliations

दीनानाथ मिश्र
शोधछात्र - स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग,ललितनारायण मिथिला विश्वविद्यालय, जिला – दरभंगा (बिहार), भारत

गद्यकाव्य, बाणभट्ट, कादम्बरी, हर्षचरितम्, हर्षवर्धन, ह्वेन सांग, मयूरभट्ट।

  1. हर्षचरित भूमिका , पृ॰-5 |
  2. संस्कृत साहित्य का इतिहास, पृ॰ -110 |
  3. हर्षचरित, पृ॰-81
  4. वही।
  5. वही।
  6. वही।

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019
Date of Publication : 2019-03-25
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 60-64
Manuscript Number : GISRRJ192111
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

दीनानाथ मिश्र, "महाकवि बाणभट्ट का परिचय ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 1, pp.60-64, January-February.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ192111

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