Manuscript Number : GISRRJ192122
भारत में महिलाओं के विकास में वैधानिक प्रावधानों की समीक्षा
Authors(1) :-डाॅ0 सीमा पंवार पुरूष प्रधान समाज होते हुए भी प्राचीन समय में भारतीय समाज में नारियों की स्थिति सम्मानजनक एवं पूजनीय थी। मध्यकाल तक आते-आते विदेशी आक्रान्ताओं के भय ने भारतीय महिलाओं को घरों की चारदीवारी के अंदर रहने को बाध्य कर दिया था। उस काल से निरन्तर महिलाओं की स्थिति दयनीय होती चली गई और महिला को समाज में केवल एक उपयोग की वस्तु के रूप में देखा जाने लगा किन्तु स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महिलाओं ने आधुनिक समाज की बेड़ियों में जकड़े होने के बावजूद भी आंदोलनकारी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करके अपनी क्षमताओं का परिचय दिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् जहाँ एक ओर महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से भारतीय संविधान में विभिन्न प्रावधानों को रखा गया, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार द्वारा समय-समय पर महिलाओं के विकास के लिए एवं उन्हें शोषण से मुक्त करने के लिए विभिन्न अधिनियमों के निर्माण के साथ-साथ अनेकों योजनाओं एवं कार्यक्रमों का संचालन भी किया गया। इस सबके बावजूद भी स्वतंत्रता प्राप्ति छः दशक बाद भी महिलाएँ स्वयं को सशक्त अनुभव करती है अथवा नहीं यह अध्ययन का विषय है। प्रस्तुत शोधपत्र में महिलाओं के विकास सम्बन्धी प्रावधानों की समीक्षा करने हुए उनके विकास में आने वाली समस्याओं एवं उनके समाधान हेतु सुझाव वर्जित किए गए है।
डाॅ0 सीमा पंवार महिला विकास, महिलाओं सम्बन्धी अधिनियिम, महिला सशक्तिकरण Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर, राजनीतिक विज्ञान विभाग, मेरठ काॅलिज, मेरठ, भारत
Date of Publication : 2019-01-30
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Page(s) : 127-136
Manuscript Number : GISRRJ192122
Publisher : Technoscience Academy
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