Manuscript Number : GISRRJ19216
गणपति सम्भवम् महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन
Authors(1) :-बिन्दू साहू कवि प्रभुदत्त शास्त्री द्वारा रचित ‘गणपति सम्भवम्’ महाकाव्य भक्तिपरक है । यह ग्रंथ गणपति देव के शासन तंत्र की शिक्षा देता है, यही कारण है कि इसका प्रकाशन कवि ने गणतंत्र दिवस पर किया । गणपति सम्भवम् पुराण आदि ग्रंथों में आंशिक रूप से समुपलब्ध गणेश की कथा का कवि ने स्व कल्पना द्वारा परिवर्धन व परिवर्तन कर एक नवीन रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है । यह महाकाव्य दस सर्गों में निबद्ध है । किन्तु दशम् सर्ग में कवि वंश का परिचय है । इसमें देव गणेश जी की शैशवावस्था से गणपतित्व पद की प्राप्ति तक की कथा सन्निहित है । पद-पद में वर्तमान राष्ट्रीय चेतना समुद्भावित है । वस्तु, नेता, रस का युगानुरूप वर्णन कवि की काव्यशास्त्रीय प्रतिभा को व्यक्त करती है । इस महाकाव्य का वस्तु विन्यास काव्यशास्त्र रीति से महाकव्योचित है । काव्यात्मभूत ध्वनि-रस-रीति-गुण-अलंकार-बिम्ब विधान आदि की उत्तम योजना महाकाव्य के नामकरण से अंतिम पद्य तक दिखायी देती है।
बिन्दू साहू प्रभुदत्त शास्त्री‚ गणपति सम्भवम्‚ महाकाव्य‚ ध्वनि‚ रस‚ रीति‚ गुण‚ अलंकार‚ बिम्ब विधान। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019 Article Preview
शोधच्छात्रा‚ (जे.आर.एफ) संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, कोटवां जमुनीपुर दुबावल प्रयागराज, भारत
Date of Publication : 2019-01-01
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Page(s) : 34-39
Manuscript Number : GISRRJ19216
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19216