कवि और काव्य का उद्भव और विकास

Authors(2) :-डाॅ. शीतान्शु रथ, डाॅ. रेखा गुप्ता

कवि और काव्य का आविर्भाव कब हुआ तथा इसका क्या तात्पर्य है, यह प्रश्न शायद साहित्य प्रेमी के मन में जरूर उठता होगा। यह जानना आवश्यक भी है। कवि और काव्य ये दोनों शब्द क्रमशः रचयिता और कृति (रचना) के लिए प्रसिद्ध है। कवि शब्द का आविर्भाव संस्कृत साहित्य में नहीं वरन् वैदिक साहित्य में हुआ था। कवि शब्द का प्रथम प्रयोग संभवतः ऋग्वेद में अग्नि को ज्ञानी सम्बोधित करने के अर्थ में हुआ था। यजुर्वेद में सर्वज्ञ परमेश्वर के लिए प्रयुक्त हुआ। इस प्रकार कवि शब्द वेद, पुराण, रामायण आदि से आते-आते अपने रूप को परिवर्तित करते हुए वर्तमान समय में रचनाकार के शब्दों में रूढि हो गया है। तथा कवि की रचना ही काव्य कहलाने लगा। इस प्रकार कवि और काव्य की यह यात्रा वैदिक संस्कृत से लौकिक संस्कृत तक आते-आते अपने परिवर्तित रूप की कथा बया कर रही है।

Authors and Affiliations

डाॅ. शीतान्शु रथ
उपाचार्य, सिंधिया प्राच्यविद्या शोध संस्थान, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, मध्यप्रदेश, भारत।
डाॅ. रेखा गुप्ता
बी.एम. मेमोरियल डिग्री कालेज, ककरही किशुनपुर माडरमऊ, अम्बेडकर नगर, उ. प्र., भारत।

कवि, काव्य, उद्भव, विकास, संस्कृत, वेद, पुराण, रामायण।

१. शिशुपालवधम्, हिन्दी टीकाकार-पं. हरगोबिन्द शास्त्री, पृ. ४।
२. ऋग्वेद, १/१/५
३. शुक्लयजुर्वेद, ४0/८
४. अथर्ववेद, ८/३/२0 तथा १0/८/३२
५. द्रष्टव्यः, श्रीमद्भागवत।
६. अमरकोश, १/३/२५
७. तत्रैव, २/७/५
८. महाभारत, अनुशासनपर्व, १/६१
९. साहित्यदर्पण, विश्वनाथ, ६/५८0
१0. अग्निपुराण, ३३७/७,३३
११. काव्यालङ्कारसूत्रवृत्ति, १/१/१-३
१२. रसगंगाधर, पण्डितराज जगन्नाथ, १/१
१३. साहित्यदर्पण, विश्वनाथ, १/१
१४. शिशुपालवधम्, हिन्दी टीकाकार-पं. हरगोविन्द शास्त्री, पृ. ५
१५. वाल्मीकिरामायण, उत्तरकाण्ड, ९४/२३

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 1 | January-February 2019
Date of Publication : 2019-03-25
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 46-50
Manuscript Number : GISRRJ19218
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. शीतान्शु रथ, डाॅ. रेखा गुप्ता, "कवि और काव्य का उद्भव और विकास", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 1, pp.46-50, January-February.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19218

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