भारतीय काव्यशास्त्र में रसविमर्श

Authors(1) :-नागदेव यादव

रस के सम्पूर्ण विवेचन का आधार है भरत का नाट्यशास्त्र है। नाट्यशास्त्र का आधारभूत एक लघुत्तर संस्करण भी प्रारम्भ मे था- आज मूल और उसके विस्तार मे भेद करना सरल नही है, परन्तु उसके चिन्ह मिल ही जाते है । निष्कर्ष यह है कि रस सिद्धान्त का विस्तृत शास्त्रीय विवेचन मूल भरत सूत्रों मे ईसा के जन्म के एक दो शती इधर या उधर निश्चित रूप से हो चुका था।

Authors and Affiliations

नागदेव यादव
शोधच्छात्र,हिन्दी विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, बिहार, भारत

रस, भरत, नाट्यशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र,अलंकार, अथर्ववेद।

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019
Date of Publication : 2019-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 09-14
Manuscript Number : GISRRJ19223
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

नागदेव यादव, "भारतीय काव्यशास्त्र में रसविमर्श", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 2, pp.09-14, March-April.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19223

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