आचार्य रामचन्द्र शुक्ल व डा रामविलास शर्मा तुलनात्मक व्यावहारिक समीक्षा आधुनिक कविता व छायावाद

Authors(1) :-डा राजेश कुमार मिश्र

समय के परिवर्तन के साथ-साथ साहित्य में परिवर्तन होता रहता है तथा होते रहना भी आवश्यक है, तभी वो साहित्य समसामयिक व प्रगतिशील साहित्य बोला जाता है। रीतिकालीन दरबारी काव्यपरम्परा, मिथ्यासौन्दर्यवाद, नायिकाभेद, लक्ष्छेदारशैली, नख शिख से निकलकर कविता ने आधुनिकता के दौर में प्रवेश किया। अब कविता के रुप में परिवर्तन हुआ तथा उसके क्षेत्र में भी विस्तार हुआ। जहां वो मात्र आनंन्द की प्रतीक मानी जाती थी, विलास को उकसाने का माध्यम मानी जाती थी अब वो जीवन के आनन्द, कष्ट, समाजिक, राजनैतिक, वैचारिक धार्मिक मनोवैज्ञानिक क्षेत्रों को स्पर्श करने लगी। अब उसमें जनता के आंतरिक छटपटाहट, हकों की मांग, शोषण का विरोध, वैचारिक कुंठा का विरोध तथा अन्य कई प्रकार के जनहित से सम्बन्ध होकर यहां तक कि अपने मनोभावों को प्रकट करने के लिए अगोचर सत्ता का भी इस्तेमाल किया जाने लगा।

Authors and Affiliations

डा राजेश कुमार मिश्र
सहायक आचार्य हिन्दी विभाग, मर्यादा देवी कन्या पी.जी. काॅलेज, बिरगापुर, हनुमानगंज, प्रयागराज।, भारत

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019
Date of Publication : 2019-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 20-24
Manuscript Number : GISRRJ19225
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डा राजेश कुमार मिश्र , "आचार्य रामचन्द्र शुक्ल व डा रामविलास शर्मा तुलनात्मक व्यावहारिक समीक्षा आधुनिक कविता व छायावाद ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 2, pp.20-24, March-April.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19225

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