Manuscript Number : GISRRJ192319
भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का प्रभावः एक विश्लेषण
Authors(1) :-डाॅ0 विकास चन्द्र वशिष्ठ साम्प्रदायिक के ऐतिहासिक स्वरूप पर दृष्टिपात करने से यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान साम्प्रदायिकता पुनर्जागरण आधुनिकीरण की प्रक्रिया से उत्पत्र एक समकालीन प्रघटना है। हिन्दु और मुसलमान के बीच बढ़ता संघर्ष इसी प्रक्रिया से जन्मित “सांस्कृतिक विलम्बना“ (कल्चर लैग) का ही परिणाम हैं इसी कारण मुस्लिम दृष्टिकोणों व्यवहारों, विचारों, विश्वासों, मूल्यों व आदर्शो इत्यादि पर रूढ़िवादी विारों का प्रभाव रहा है। जिससे ब्रिटिश शासनकाल में उत्पन्न भौतिकवादी चुनौती ने इनकी जीवन शैली में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को विलम्ब से स्वीकार ने को बाध्य किया। पं0 जवाहरलाल नेहरू ने इस प्रक्रिया को ’विलम्बित आधुनिकीकरण’ की प्रक्रिया का नाम दिया और इन दोनों के मध्य विकसित साम्प्रदायिकता को “एक मध्यम वर्गीय समस्या“ के रूप में देखा। उनके अनुसार साम्प्रदायिकता धार्मिक समुदाय पर आधारित एक संकीर्ण स्नूह मनोवृति है सथी ही निहित स्वार्थो के लिए राजनीतिक शक्ति को संरक्षण देन कन्स में भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता क प्रभाव प्रत्यक्ष न होकर परोक्षा रूप से अधिक रहा है। जैसे-सभी राजनीतिक दल जनता के दिये जाने आश्वासनों व . अपीलों में विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों के हितों का ख्याल रखते हैं। निर्वाचनों में उम्मीदवारों के चयन तथा मतदान में धर्म की राजनीति का प्रभाव स्पष्टत देखने को मिलता रहता है।
डाॅ0 विकास चन्द्र वशिष्ठ Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, मेरठ काॅलेज, मेरठ।, भारत
Date of Publication : 2019-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 111-124
Manuscript Number : GISRRJ192319
Publisher : Technoscience Academy
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