आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और डा रामविलास शर्मा व्यवहारिक समीक्षा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

Authors(1) :-डा. राजेश कुमार मिश्र

भारतेन्दु नाम लेने मात्र से ही आम हिन्दी पाठक के मन मे एक मोटी-मोटी अवधारणा बनने लगती है वो अवधारणा है- आधुनिक काल की, हिन्दी गद्य साहित्य के विकास की, खड़ी बोली के प्रारंभ की व हिन्दी को अपनी अलग पहचान पाने के शुरूआत की। वैसे तो यह अवधारणा काफी हद तक ठीक ही है परन्तु यदि वास्तव में भारतेन्दु की गहराई मे जाने का कोई पाठक प्रयास करे तो उसे इससे सम्बन्धित कई बाते मिलेंगी- जो एक प्रकार से वास्तव में आधुनिकता के लिए, तत्कालीन परिस्थितियों में परिवर्तन के लिए मानो वीणा उठाये तैयार थे। भाषा को चाहे उसके वास्तविक स्वरूप की पहचान दिलवाने की बात हो, या एक बहुत बड़े समुदाय (हिन्दी भाषी जनता) जो अनेक बोलियों व उपबोलियों में बिखरे पड़े थे- उनको एक सूत्र में बांधने की बात हो, चाहे उस सूत्र में बांधने के पीछे राष्ट्रियता की भावना व साम्राज्यवाद के विरोध की बात हो, चाहे हिन्दी भाषी जनता को रूढ़िवाद से अलग करके अंधविश्वास, आडम्बर, कर्मकाण्ड, अज्ञानता मूलक कुतर्को से दूर करने की बात हो, चाहे नयी सोच, नये विचार, नया जीवन, नयी चेतना, नये कर्म से संलग्न होकर चलने की बात हो सर्वत्र भारतेन्दु जी का प्रयास सराहनीय रहा है। अन्य बातों पर विचार करने से पहले आवश्यक एक बात कह देना जरूरी समझता हूँ जो जहन में बहुत दिनों से कौंध रही थी कि भारतेन्दु के सम्बन्ध में- ‘‘जथा नामों तथा कर्मो‘‘ वाली उक्ति चरितार्थ हो रही है- यद्यपि आज के समय में इसे सबके ऊपर लागू नहीं किया जा सकता पर भारतेन्दु के ऊपर लागू हो रही है। यदि हम भारतेन्दु शब्द की गहराई में जाये तो यह दो शब्दो से मिलकर बना है ‘भारत व इन्दु‘ अर्थात भारत के चंद्रमा। मेरी समझ में एक ऐसा चन्द्रमा जो भारत की जनता को जो किसी ऐसी व्यापक भाषा के न होने से जिससे सबको एक सूत्र में बांधा जा सके जिससे हिन्दी भाषी समझ सके तथा एक ही भाषा मंे वो अपनी विचारों का आदान-प्रदान कर सके एक प्रकार से भाषिक या यों कहे कि वैचारिक रूप से बिखरे भारत को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य उन्होंने किया या फिर यों कहें कि- घने अधेंरे में या गुलामी की जंजीर में जकड़े भारतवासियों को अपनी चांदनी से जो मार्ग दिखलाया वो उनके भारत के चन्द्रमा होने की उक्ति को चरितार्थ करती है।

Authors and Affiliations

डा. राजेश कुमार मिश्र
सहायक आचार्य हिन्दी विभाग, मर्यादा देवी कन्या पी.जी. कालेज, बिरगापुर, हनुमानगंज, प्रयागराज।, भारत

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019
Date of Publication : 2019-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 05-11
Manuscript Number : GISRRJ19232
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डा. राजेश कुमार मिश्र, "आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और डा रामविलास शर्मा व्यवहारिक समीक्षा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 3, pp.05-11, May-June.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19232

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