Manuscript Number : GISRRJ192411
रघुवंश महाकाव्य में राजा दिलीप के शीलनिरूपण का एक अध्ययन
Authors(1) :-मनोज कुमार सिंह नेता काव्य का महत्त्वपूर्ण अंग है । कथा को गति प्रदान कने का साधन नेता ही है । ‘नेता’ शब्द का अभिप्राय यहाँ काव्य के मुख्य पात्र से है । अन्य पात्र इस नेता के ही सहयोगी होते हैं । अतएव समग्र पात्रें की अभिव्यक्ति ‘नेता’ शब्द से ही होती है । काव्य में पात्र कथा की प्रकृति के अनुसार दो प्रकार के होते हैं । यदि कथावस्तु प्रख्यात होती है तो उसके पात्र भी ऐतिहासिक या प्रख्यात ही होते है । साथ ही कुछ पात्र काल्पनिक भी होते हैं, जो काव्य में मुख्यतः कवि-भावनाओं के संवाहक होते है । यद्यपि काव्यकार पात्रें को अपने विचारों के अनुरूप ही चित्रित करता है, क्याेंकि प्रख्यात पात्रें के शीलनिरूपण में यह उन्मुक्त नहीं होता, क्योंकि पात्र के मूलचरित्र की रक्षा अनिवार्य होती है । काल्पनिक पात्र पूर्णतया कवि के मनोनुरूप होते हैं । प्रस्तुत आलोच्य महाकाव्याें में कथावस्तु प्रख्यात ही है । अतएव पात्र भी वैसे ही हैं । कवि को स्वमत्यनुरूप पात्रें के सृजन का अवसर नहीं मिला है । तथापि कवियों ने पात्रें के चरित्र में कुछ-कुछ परिमार्जन किया है और अपनी बातों को, भावनाओं को उन्हीं के माध्यम से व्यक्त भी किया है ।
मनोज कुमार सिंह शीलनिरूपण, स्वमत्यनुरूप, परिमार्जन, आलोच्य
भूमिका Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019 Article Preview
C-204, पुष्पांजलि इन्क्लेव, उत्तरी मंदिरी, पटना, बिहार भारत
Date of Publication : 2019-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 41-50
Manuscript Number : GISRRJ192411
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ192411