दाम्पत्य-जीवनक मैथिली कथाक प्रकार आ वर्गीकरण

Authors(2) :-श्रवण कुमार, विनीत कुमार लाल दास

समाजक सभसँ छोट इकाई मनुक्ख होइत अछि। तेँ समाजक निरंतरताक लेल मनुक्खक रहब आवश्यक अछि, नहि त समाजक आ मनुक्खक अस्तित्व खतरामे पड़ि जायत। एहि खतराकेँ टालबाक लेल एक टा व्यवस्था बनल अछि जकर नाम थिक - बिआह। बिआहक माध्यमसँ मनुक्खक उत्पादन निरंतर होइत अछि जाहिसँ एकर अस्तित्वपर खतरा नहि अबैत अछि। बिआह-व्यवस्थाक आधारपर विपरीत लिंगकेँ एक संग रहबाक स्वीकृति समाज आ परिवार दैत अछि आ ओहि जीवनकेँ दाम्पत्य-जीवन कहल जाइत अछि। प्रत्येक दाम्पत्य-जीवन समाज आ साहित्यकेँ प्रभावित करैत अछि आ समाज ओ साहित्य सेहो मानव-जीवनकेँ प्रभावित करैत अछि अर्थात् दुनूक बीच अन्योनाश्रय संबंध होइत अछि।

Authors and Affiliations

श्रवण कुमार
शोधार्थी, मैथिली विभाग, ति0 मा0 भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर,भारत।
विनीत कुमार लाल दास
एम.ए. (मैथिली), स्वर्ण पदक प्राप्त, नेट पटना विश्वविद्यालय, पटना, शोधार्थी, मैथिली विभाग ति. माँ भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, भारत।

  1. झा, डॉ. दिनेश कुमार: 2012; मैथिली साहित्यक आलोचनात्मक इतिहास; प्रकाशक- मैथिली अकादमी, पटना; पृष्ठ संख्या - 9, 10
  2. श्रीश, डॉ. दुर्गानाथ झा: 1991; मैथिली साहित्यक इतिहास; प्रकाशक - भारती पुस्तक केन्द्र, टावर चौक, दरभंगा; पृष्ठ सं०- 337, 338
  3. उपरोक्त, पृष्ठ सं०- 377

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019
Date of Publication : 2019-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 60-68
Manuscript Number : GISRRJ192419
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

श्रवण कुमार, विनीत कुमार लाल दास, "दाम्पत्य-जीवनक मैथिली कथाक प्रकार आ वर्गीकरण", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 2, pp.60-68, March-April.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ192419

Article Preview