Manuscript Number : GISRRJ19246
न्यायदर्शन में सिद्धान्त: एक समीक्षा
Authors(1) :-सन्दीप कुमार मिश्र न्याय के पूर्व तथा उत्तर अंग संशय तथा प्रयोजन दो पदार्थों के वर्णन के पश्चात् न्याय के आधार सिद्धान्त नामक षष्ठ पदार्थ का वर्णन करते हैं। सिद्धान्त विषयक सूत्र का अवतरण देते हुए भाष्यकार वात्स्यायन, जिनका दूसरा नाम ‘पक्षिलस्वामी’ भी प्राप्त होता है, कहते हैं कि- ‘‘यह ऐसा ही है’ इस प्रकार से स्वीकार किये जाने वाले अर्थ (विषय) के समुदाय को ‘सिद्ध’ कहते हैं।
सन्दीप कुमार मिश्र न्याय, संशय, प्रयोजन, पक्षिलस्वामी, वात्स्यायन, न्यायसूत्र। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 4 | July-August 2019 Article Preview
शोधच्छात्र, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, भारत
Date of Publication : 2019-08-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 16-21
Manuscript Number : GISRRJ19246
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19246