Manuscript Number : GISRRJ19248
प्राचीन भारतीय शिक्षा
Authors(1) :-उमेश चन्द्र मिश्र तत्कालीन एवं आधुनिक कालीन भारतीय समाज की तुलना करें तो बहुत अंतर आ चुका है। संयुक्त परिवार एकल परिवार की ओर शायद इसलिए बढ़ रहा है की आज वैसा संस्कार एवं शिक्षा लुप्तप्राय होती जा रही है एवं अत्यधिक तात्कालिक सुखाभिलाषा लोगों को अवसाद ग्रस्त कर दे रही है । शनैः शनैः पौर्वात्य सभ्यता पर पाश्चात्य सभ्यता निर्वाध गति से अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही है। आज महाकवि कालिदास के समय की शिक्षा एवं संस्कारों को उनके काव्यों से लेने की आवश्यकता है,जिससे मानव समाज में हो रही विकृति को दूर किया जा सके और ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ को साकार कर सभी सामाजिक एकता के सूत्र में बंध सके।
उमेश चन्द्र मिश्र आधुनिक कालीन‚ भारतीय‚ समाज‚ प्राचीन‚ साहित्य‚ शिक्षा। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 4 | July-August 2019 Article Preview
प्रवक्ता(पी.जी.टी.)-संस्कृत, जे.बी.सी.+२ विद्यालय ,जामताड़ा, झारखंड, भारत
Date of Publication : 2019-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 28-30
Manuscript Number : GISRRJ19248
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19248