Manuscript Number : GISRRJ19259
धर्मसूत्रों में स्त्री अपराध एवं तत् संबंधित दण्ड व्यवस्था का आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विवेचन (गौतम, बौधायन और आपस्तम्ब के सन्दर्भ में)
Authors(1) :-संगीता राय विश्व की संस्कृति में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाली स्त्री जिसे राष्ट्र की संस्कृति निर्माण का मुख्य मापदण्ड माना जाता था, की स्थिति बहुत ही भयावह और चिन्ताजनक है । समाज में बढ़ रहे स्त्री-विरोधी अपराध नारियों की अस्तित्त्व को चुनौती दे रहे हैं । ये अपराध दिन प्रतिदिन हिंस्र से हिंस्र होते जा रहे हैं । समाज में ऐसा घटाटोप व्याप्त हुआ है जहाँ स्त्रियों का खुलकर सांस ले पाना कठिन हो गया है । बर्बर बलात्कार, दहेज उत्पीडन, कन्या भ्रूण हत्या, बाल- विवाह, स्त्रियों पर तेज़ाब फेंके जाने, बलात्कार के बाद ख़ौफनाक हत्याओं जैसी घटनाएँ साधारण हो गयी हैं । आधुनिक समय में नारी विरोधी अपराधों की यह स्थिति यह सोचने पर विवश करते हैं कि क्या प्राचीन समय में जब नारियों को ‘श्री एवं लक्ष्मी’ के रुप में देखा जाता था, तो क्या उस समय भी समाज में नारी विरोधी अपराध होते थे – विशेषकर धर्मसूत्रों के काल में । क्या उस समय भी नारी अपराधों के लिए वर्तमान समय जैसे ही दण्ड विधान प्रचलित थे ।
संगीता राय संस्कृति, स्त्री, अपराध, दण्ड विधान, धर्मशास्त्र, समाज। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019 Article Preview
शोधार्थिनी, संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान, जे.एन.यू, नईदिल्ली, भारत।
Date of Publication : 2019-09-30
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Page(s) : 40-44
Manuscript Number : GISRRJ19259
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19259