हरिशंकर परसाई की राजनीतिक चेतना

Authors(1) :-डॉ. बद्री दत्त मिश्र

हरिशंकर परसाई भारतीय जनता और उनकी जीवन स्थितियों को हमारे सामने ला ते हैं। उन्होंने जनसाधारण की असाधारण शक्ति में पूर्ण आस्था रखी और जब वे देखते हैं कि जनता अपनी सक्रिय भूमिका से कटकर उदासीन, तटस्थ , सहनशील भीड़ के रूप में रूपांतरित हो रही है , तो वे बरस पड़ते हैं । वे जानते हैं कि यह अधिकार जनता का है । वे जानते हैं कि जनता जब तक इसके लिए प्रयास नहीं करेगी , जब तक अपने अधिकारों के लिए लड़ेगी नहीं, तब तक अधिकार उसे प्राप्त नहीं हो सकेंगे । वास्तव में, किसी भी लोकतंत्र को सही तरीके से चलाने में जनता की ही भूमिका होती है । अगर जनता उस कार्य में खुद को निबध्द करती है तभी लोकतंत्र को सही तरीके से चलाया जा सकता है , इसलिए परसाई जहां एक और भारतीय सामाजिक व्यवस्था ,राजनीतिक स्थितियों पर नजर रखते हैं, वहीं भारतीय जनता के लिए भी वे बेहद सजग नजर आते हैं । अपने व्यंग्य के द्वारा वह यही करते हैं कि भारतीय जनता इस पूरी प्रक्रिया को समझ सके और उसी के अनुरूप अपने अधिकारों के लिए लड़ाई कर सके ।

Authors and Affiliations

डॉ. बद्री दत्त मिश्र
एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, फीरोज़ गांधी कालेज, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, भारत

हरिशंकर परसाई, भारतीय, जनता, राजनीति, निबंधकार, स्वतंत्रता, स्वाधीनता, आंदोलन।

  1. हरिशंकर परसाई रचनावली
  2. वही पृष्ट 264
  3. रचनावली /परछा यी भेदन पृष्ठ 64/
  4. प्रश्नावली पैसे का खेल पृष्ठ 196
  5. परसाई ग्रंथावली भाग 2 सामाजिक की डायरी पृष्ठ 292
  6. रचनावली 4,  हस्ती मिटती नहीं हमारी , 148 149
  7. वसुधा अंक 43 पृष्ठ 383 लिखना है.
  8. परसाई रचनावली 3 सहानुभूति के रंग पृष्ठ244

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 5 | September-October 2019
Date of Publication : 2019-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 98-101
Manuscript Number : GISRRJ192618
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. बद्री दत्त मिश्र, "हरिशंकर परसाई की राजनीतिक चेतना ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 5, pp.98-101, September-October.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ192618

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