बिहारी के अध्ययन की परम्परा का अवलोकन

Authors(1) :-डाॅ. सुकेश लोहार

बिहारी के मूल्यांकन की एक परंपरा बनती चली गयी। इस दौरान बिहारी पर हुए विचारों की धाराआएँ विभिन्न संगम और शाखाओं के पड़ावों से होकर गुजरीं। इस पुस्तक की परिकल्पना उन्हीं संगमों और शाखाओं को रेखांकित करने की परियोजना को अमली जामा पहनाने की कोशिश का परिणाम है।

Authors and Affiliations

डाॅ. सुकेश लोहार
असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, कल्याणी विश्वविद्यालय, कल्याणी।

बिहारी, परम्परा, अध्ययन, मूल्यांकन, परिकल्पना, शाखा।

  1. भटनागर, रामरतन, 1950 ई., बिहारी एक अध्ययन, किताब महल, इलाहाबाद
  2. मिश्र, विश्वनाथ प्रसाद, 1960 ई., हिन्दी साहित्य का अतीत-2, वाणी प्रकाशन, दिल्ली
  3. मिश्रबंधु, 1967 ई. (1910 ई.), हिन्दी नवरत्न, हिन्दी ग्रंथ प्रसारक मंडली, प्रयाग
  4. शर्मा, पùसिंह, 1918 ई., सतसई संजीवनी, ज्ञानमण्डल, काशी
  5. शुक्ल, रामचन्द्र, 1929 ई., हिन्दी साहित्य का इतिहास, नागरी प्रचारिणी सभा, वराणसी
  6. स्नातक, विजयेन्द्र (संपा.), 1997 ई., बिहारी, वैभव प्रकाशन, नागपुर

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019
Date of Publication : 2019-11-29
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 182-186
Manuscript Number : GISRRJ192716
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. सुकेश लोहार, "बिहारी के अध्ययन की परम्परा का अवलोकन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 6, pp.182-186, November-December.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ192716

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