हिन्दी साहित्य में स्त्री विमर्श तथा इसकी उपयोगिता

Authors(1) :-डाॅ. गुंजन त्रिपाठी

प्राचीन काल से लेकर आज तक स्त्री विमर्श किसी न किसी रूप में विचारणीय विषय रहा है। हिंदी साहित्य में नारी विमर्श की जहां तक बात है तो बीसवीं शताब्दी के उरार्ध से हमारे देश में जो नारीवादी आंदोलन हुए उन आंदोलनों से भारतीय साहित्य काफी प्रभावित हुआ है। इसकी पृष्ठभूमि के रूप में यूरोप और अमेरिका की जिस नारीवादी विचारधारों के प्रभाव के कारण ऐसा हुए है; वह स्वीकार करने के बावजूद कहा जा सकता है कि स्त्री विमर्श कभी तो संसार की समस्त नारियों द्वारा समस्त पुरुषों का विरोध करने वाली विचारधारा के रूप में उभरकर सामने आया तो कभी यह स्त्री की उन्मुक्त सेक्स की वकालत करने वाले साहित्य के रूप में सामने आया। हिन्दी कथा साहित्य में स्त्री विमर्श जिसमें नारी जीवन की अनेक समस्याएं देखने को मिलता है। हिन्दी साहित्य में छायावाद काल से स्त्री-विमर्श का जन्म माना जाता है। महादेवी वर्मा की श्रृंखला की कड़िया नारी सशक्तिकरण का सुन्दर उदाहरण है। प्रेमचंद से लेकर आज तक अनेक पुरूष लेखकों ने स्त्री समस्या को अपना विषय बनाया लेकिन उस रूप में नहीं लिखा जिस रूप में स्वयं महिला लेखिकाओं ने लिखी है। अतः स्त्री-विमर्श की शुरूआती गुंज पश्चिम में देखने को मिला। सन् 1960 ई. के आस-पास नारी सशक्तिकरण जोर पकड़ी जिसमें चार नाम चर्चित हैं। उषा प्रियम्वदा, कृष्णा सोबती मन्नू भण्डारी एवं शिवानी आदि लेखिकाओं ने नारी मन की अन्र्तद्वन्द्वों एवं आप बीती घटनाओं को उकरेना शुरू किए और आज स्त्री-विमर्श एक ज्वलंत मुद्दा है। आठवें दशक तक आते-आते यही विषय एक आन्दोलन का रूप ले लिया जो शुरूआती स्त्री-विमर्श से ज्यादा शक्तिशाली सिद्ध हुआ। आज मैत्रेयी पुष्पा तक आते-आते महिला लेखिकाओं की बाढ़ सी आ गयी जो पितृसŸाा समाज को झकझोर दिया। नारी मुक्ति की गुंज अब देह मुक्ति के रूप में परिलक्षित होने लगा।

Authors and Affiliations

डाॅ. गुंजन त्रिपाठी
1N/5C, तिलक नगर, अल्लापुर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।, तिलक नगर, अल्लापुर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।

स्त्री विमर्श, पृष्ठभूमि, आन्दोलन, देहमुक्ति, नारी सशक्तिकरण आदि।

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Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 6 | November-December 2019
Date of Publication : 2019-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 100-104
Manuscript Number : GISRRJ19275
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. गुंजन त्रिपाठी, "हिन्दी साहित्य में स्त्री विमर्श तथा इसकी उपयोगिता ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 6, pp.100-104, November-December.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ19275

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