पं. दीनदयाल उपाध्याय का राष्ट्रवाद की चिन्तन अवधारणाएँ

Authors(1) :-डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः

पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक भारतीय विचारक समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, पत्रकार और इतिहासकार थे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माण में सहायक थे और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने। दीनदयाल द्वारा स्थापित एकात्म मानव दर्शन की अवधारणा पर आधारित एक राजनीति जीवन भारतीय जनसंघ का एक उत्पाद है। उनके अनुसार एकात्म मानव दर्शन प्रत्येक मानव शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का एक एकीकृत कार्य है। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत व्यक्तिवाद, लोकतंत्र, समाजवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद जैसी पश्चिमी अवधारणाओं पर निर्भर नहीं हो सकता है। उन्होंने सोचा कि भारतीय प्रतिभा पश्चिमी सिद्धांतों और विचारधाराओं से घुटन महसस करती है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन सैद्धांतिक और व्यावहारिक रूप से एक सर्वकालिक और सार्वभौमिक जीवन दर्शन है। दर्शन के अनुसार, मानव पूरे ब्रह्मांड के केंद्र में है, प्रकृति के साथ एकीकरण करता है, परिवार, समुदाय, समाज, राष्ट्र और दुनिया के प्रति अपनी बहुपक्षीय जिम्मेदारियों का निर्वहन करते है।

Authors and Affiliations

डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः
एसोसिएट प्रोफेसर, स्वः लक्ष्मी कुमारी बधाला गर्ल्स पी.जी. कॉलेज गोविन्दगढ़, चौमूँ (जयपुरम्)

  1. उ.प्र. संदेश सितम्बर 1991 पृष्ठ संख्या 40-65
  2. भारत के वैभव का दीनदयाल मार्ग ह्य.ना.दी पृष्ठ संख्या 28-29
  3. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनीतिक चिंतन पृष्ठ संख्या 29
  4. पंडित दीनदयाल उपाध्याय व्यक्त्ति दर्शन पृष्ठ संख्या 58
  5. पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनैतिक चिन्तन पृष्ठ संख्या 38
  6. विजयवाड़ा अधिवेशन में दिया भाषण 1965
  7. जनसंघ विशेषक आर्गनाइजर 1956
  8. पॉलिटिक्ल डायरी पृष्ठ संख्या 139-154
  9. माधुरी दुबे, पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानव दर्शन का महत्व, पृष्ठ संख्या 74-76.
  10. वर्मा, जवाहर लाल शिक्षा शोध महामना मदन मोहन मालवीय के शैक्षिक विचार बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झॉसी।
  11. महेश चन्द्र शर्मा, दीनदयाल उपाध्याय सम्पूर्ण वाडगम्य, खंड पांच, प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली , 2016, पृष्ठ 173–280
  12. हृदय नारायण दीक्षित, तत्वदर्शी दीनदयाल उपाध्याय, दीनदयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान, लखनऊ, 1996, पृष्ठ 72-85
  13. दिलीप अग्निहोत्री, दीनदयाल उपाध्याय के विचार और दर्शन आज भी प्रासंगिक, प्रभा साक्षी, डेलीहंड, 25 सितम्बर, 2018, पृष्ठ 1-2
  14. डॉ० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री, दीनदयाल उपाध्याय चिन्तन की प्रासंगिकता, प्रवक्ता.कॉम, 01.03.2018, पृष्ठ 3
  15. शिवानन्द द्विवेदी, दीनदयाल उपाध्याय सिर्फ नाम नहीं बल्कि एक विचार है, जागरण सवेरा, 01.03.2018, पृष्ठ 2
  16. महेश चन्द शर्मा, दीनदयाल उपाध्यायः कर्तव्य एवं विचार, प्रभात पब्लिकेषन, नई दिल्ली, 1994, पृष्ठ 250-258
  17. दीनदयाल उपाध्याय, एकात्म मानववाद, प्रभात पब्लिकेशन, 2016, पृष्ठ 80-82
  18. शरत अनन्त कुलकर्णी, एकात्म अर्थनीति, सुरूचि प्रकाशन, केशव कुंज, झण्डेवाला, नई दिल्ली, 2014, पृष्ठ 10-15

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020
Date of Publication : 2020-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 123-132
Manuscript Number : GISRRJ2032110
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः, "पं. दीनदयाल उपाध्याय का राष्ट्रवाद की चिन्तन अवधारणाएँ ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 2, pp.123-132, March-April.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2032110

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