Manuscript Number : GISRRJ20329
हिन्दी साहित्य में इतिहास लेखन की परम्परा
Authors(1) :-डाॅ. गुंजन त्रिपाठी हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में अनेक साहित्यकारों ने कविता, कहानी, उपन्यास और नाटक के क्षेत्र में इतिहास को आधार बनाकर विशिष्ट साहित्यक रचना की, ऐसे साहित्यकारों में प्रमुख रूप से जयशंकर प्रसाद जी जिनकी छाया, प्रतिध्वनि, इन्द्रजाल आदि संग्रहों की अधिकांश कहानियां ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है। तानसेन रसिया, अशोक गुलाम, मदन मृणालिनी, सिकंदर की शपथ, चिŸाौर का उद्दार और ममता आदि कहानियों में प्रसाद जी ने इतिहास को प्रस्तुत करते हुए प्रेम के उदाŸा स्वरूप को उद्घाटित कर उसके लिए तथा देश के लिए सर्वस्व-बलिदान की भावना को ऊपर उठाकर एक श्रेष्ठ ऐतिहासिक साहित्य की रचना की। हिन्दी साहित्य में इतिहास लेखन की परम्परा को आगे ले जाने में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, उन्होंने हिन्दी के इतिहास लेखन में नयी चेतना जागृत कर एक नए युग की शुरूआत की जिसके आधार पर हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में अनेक उत्कृष्ट प्रयास हुए। साहित्य इतिहास लेखन का एक अन्य स्रोत है, इस दृष्टि से इसे विस्तृत करने की आवश्यकता है।
डाॅ. गुंजन त्रिपाठी प्रतिध्वनि, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सर्वस्व-बलिदान, उत्कृष्ट, चेतना। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020 Article Preview
1छ5ब् तिलक नगर, अल्लापुर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2020-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 35-38
Manuscript Number : GISRRJ20329
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ20329