Manuscript Number : GISRRJ203323
हिन्दी दलित आत्मकथाओं की विकास यात्रा
Authors(1) :-प्रसेन जीत सागर हिन्दी साहित्य में दलित आत्मकथाएं दलितों, पिछड़ों और स्त्रियों के लिए लड़ने का साहस प्रदान करता है तथा साथ ही साथ अपने जीवन को सुन्दर बनाने का संदेश देता है। ये आत्मकथाएं भारतीय इतिहास का दस्तावेज है। इन आत्मकथाओं से दलित वर्ग अपने अधिकारों के प्रति संगठित और सचेत होता है। शिक्षा के प्रति जागृत एवं नवीन चेतना पैदा होती है। आत्मकथा विधा से हिन्दी साहित्य समृद्ध हुआ है।
प्रसेन जीत सागर हिन्दी, दलित, साहित्य, आत्मकथा, पिछड़, स्त्रिय, भारतीय, इतिहास। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020 Article Preview
असिस्टेन्ट प्रोफेसर (हिन्दी विभाग), डाॅ0 राजेश्वर सेवाश्रम महाविद्यालय, ढिंढुई, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2020-02-25
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 94-98
Manuscript Number : GISRRJ203323
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203323