Manuscript Number : GISRRJ203332
वेदव्यास की रचना में स्त्री विमर्श महाभारत के सन्दर्भ में (आज के संदर्भ में)
Authors(1) :-डॉ. रमेश चन्द्र टांक भारतीय संस्कृति के प्राचीन ग्रन्थों में मनुष्य के आचार-विचार, व्यवहार का जैसा सूक्ष्म विवेचन हुआ है, अन्यत्र दुर्लभ है। रामायण और महाभारत इन दो ग्रन्थों में प्रारम्भ से लेकर अन्त तक कर्म का ही अन्तर्द्वन्द्व छाया हुआ है। केवल मुख्य कथा ही नहीं, उपकथाओं और आनुषङ्गिक वर्णनों में भी कर्म, अकर्म, विकर्म का वही द्वन्द्व तैरता हुआ नजर आता है। यथार्थ में कर्म की गहन गति का चित्रण एवं विश्लेषण महाभारत जैसे पञ्चम वेद में इतने मुखर और स्पष्ट रूप में हुआ है कि इस ग्रन्थ की तेजस्विता के सम्मुख अन्य ग्रन्थ फीके पड़ जाते हैं। महर्षि वेदव्यास की यह विशेषता रही है कि जिस विषय का भी उन्होंने स्पर्श किया है- वह चाहे कर्मफल हो, मृत्यु हो, शौच, इन्द्रियनिग्रह, सांसारिक-विषय, सुख-दुःख, पाप-पुण्य, जय-पराजय, अथवा मनुष्य का प्रारब्ध, कर्मों का प्रायश्चित अथवा हत्या और आत्महत्या का विषय ही क्यों न हो-उसे अन्तिम क्षितिज तक पहुँचा दिया है। विषय की वे इतनी स्पष्ट और विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत करते हैं कि उस विषय में पुन: कुछ कहने की आवश्यकता शेष नहीं रह जाती है। महाभारत में वैद व्यास द्वारा महापुरूषों की भूमिका का वर्णन सम्यक रूप से किया गया है उदाहरणार्थ श्रीकृष्ण, भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, शल्य, कर्ण के साथ-साथ पांचों पांडवों एवं कौरवों की भूमिका का वर्णन भी महर्षि वेद व्यास ने महाभारत कालीन समाज में समयक रूप से किया था इसी क्रम में स्त्री पात्रों को अन्तर्गत गांधारी, कुन्ती, माद्री, सुभद्रा, भानुमति, द्रोपति इत्यादि स्त्री पात्रों की भूमिका का सम्यक विवेचन महर्षि वेद व्यास ने तत्कालीन समाज में किया था। इसी स्त्री विमर्श को महाभारत कालीन परिप्रेक्ष्य में दृष्टिगत रखते हुए आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत शोध आलेख में स्त्री विमर्श को व्याख्यायित किया गया है।
डॉ. रमेश चन्द्र टांक महाभारत, वेद व्यास, स्त्री, पंचमवेद, लोककल्याण| Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022 Article Preview
शोधार्थी, सीनियर रिसर्च फेलो, ICSSR संस्थान
Date of Publication : 2022-02-07
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 25-35
Manuscript Number : GISRRJ203332
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203332