दलित नारीवाद और रजनी तिलक की कविताएँ

Authors(1) :-आकाश कुमार

यह शोध पत्र दलित नारीवाद के संदर्भ में रजनी तिलक की कविताओं पर केन्द्रित है। रजनी तिलक जी जन्म 27 मई 1958 को दिल्ली में हुआ था और मृत्यु 30 मार्च 2018 को हुई। वे एक दलित नारीवादी कार्यकर्ता होने के साथ साथ एक लेखिका भी थीं। इसलिए उनकी कविताएँ राजनीतिक तेवर वाली कविताएँ हैं जहाँ सीधे सीधे अपनी बातों को उन्होंने रखा है। ये कविताएँ दलित स्त्री के ‘स्व’ से शुरू होकर ‘हम’ पर जाती हैं। इन कविताओं में दलित स्त्री के शोषणमात्र को बयां नहीं किया गया है बल्कि उन शोषण के कुचक्रों की समूची संरचना की पड़ताल की गयी है। रजनी तिलक की कविताएँ दलित नारीवाद की अवधारणा को समझने के लिहाज से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। दलित विमर्श और स्त्री विमर्श से अलग दलित स्त्री के विमर्श की जरूरत क्यों पड़ी इसे ये कविताएँ बखूबी बयान करती हैं।

Authors and Affiliations

आकाश कुमार
सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग, दाउदनगर कॉलेज (मगध विश्वविद्यालय) औरंगाबाद, बिहार ।

दलित स्त्री, पितृसत्ता, ब्राह्मणवादी पितृसत्ता, जाति, जेंडर, दलित साहित्य, स्त्रीवादी साहित्य।

[1]. रजनी तिलक, पदचाप, निधि बुक्स, पटना, 2008, पृ. xi

[2]. रजनी तिलक, पदचाप, निधि बुक्स, पटना, 2008, पृ. 41

[3]. रजनी तिलक, 2008, पृ. 42

[4]. रजनी तिलक, हवा सी बेचैन युवतियां, स्वराज प्रकाशन, नई दिल्ली, 2014, पृ. 57-58

[5]. रजनी तिलक, 2014, पृ. 23

[6]. वही, पृ. 27

[7]. रजनी तिलक, 2014, पृ. 31

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022
Date of Publication : 2022-02-07
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 41-45
Manuscript Number : GISRRJ203334
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

आकाश कुमार , "दलित नारीवाद और रजनी तिलक की कविताएँ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 1, pp.41-45, January-February.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203334

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