घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2005 और सामाजिक दायित्व

Authors(1) :-डाॅ0 गंगा देवी बैरागी

हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से सन् 1947 मंें आजाद तो, हो, गया, पर हमारे समाज मंें स़्ित्रयांे की गुलामी की जंजीर अभी तक खत्म नही होने को आ रही है। वैसे तो कई कवियांे ने नारी की महिमा मंडन में कोई कसर नहीं छोड़ी है - जैसे नारी से नर होता हंै ध्रुव, प्रहलाद समान, इस वाक्याॅश पर गौर करें तो नारी, सिर्फ इसलिए पूज्यनीय है, कि ध्रुव प्रहलाद समान उसके पुत्र हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ0 गंगा देवी बैरागी
प्राध्यापक समाजशास्त्र, शास.कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय मझौली, सीधी, मध्य प्रदेश।, भारत

महिला, हिंसा, संरक्षण, अधिनियम, सामाजिक, गुलामी, अशिक्षित।

  1. सिंह वी0एल0 और सिंह जनमेजय - आधुनिकता और नारी सशक्तीकरण।
  2. Wikipedia & घरेलू हिंसा अधिनियम 2005।
  3. www-com
  4. इण्टरनेट
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Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022
Date of Publication : 2022-02-07
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 53-62
Manuscript Number : GISRRJ203336
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 गंगा देवी बैरागी, "घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2005 और सामाजिक दायित्व ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 1, pp.53-62, January-February.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203336

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