Manuscript Number : GISRRJ203341
स्वातंत्र्योत्तर जन आंदोलन और हिंदी कविता
Authors(1) :-डॉ अर्चना त्रिपाठी किसान आंदोलन की ऐतिहासिक एवं वैचारिक पड़ताल की आज सख़्त ज़रूरत है। आज के समाज में हो रहे सामाजिक, नव सामाजिक आंदोलनों पर लेखकों को एक बार फिर से उसी तेवर के साथ लिखने और जनता के सामने लाने की ज़रूरत है। आज ज़रूरत है एक बार फिर से जन में शामिल होकर जनता का आदमी बनने की क्योंकि दुनिया रोज बनती है और समय का पहिया चलता रहता है और आंदोलनों से निकले लहू से क्रांति गीत बनता है।
डॉ अर्चना त्रिपाठी स्वातंत्र्योत्तर, जन, आंदोलन, हिंदी, कविता, ऐतिहासिक| Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय।, भारत।
Date of Publication : 2022-02-07
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 105-110
Manuscript Number : GISRRJ203341
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203341