Manuscript Number : GISRRJ203349
प्राचीन भारतीय इतिहास की ज्ञान परम्परा में पाण्डुलिपि – विज्ञान का स्वरुप और क्षेत्र
Authors(1) :-भॅवरलाल कुमावत पाण्डुलिपिविज्ञान (Manuscriptology) यद्यपि आधुनिक शैक्षणिक विषयों (Tutorial Disciplines) में गिना जाता है । परन्तु सत्य तो यह है कि भारतवर्ष की प्राचीन प्रचलित विद्याओं में यह एक शास्त्र के रूप में प्रतिष्ठित रहा है । लिपिविज्ञान (Palaeography) शिलालेखविज्ञान (Epigraphy) पुरातत्त्व (Archeology) इतिहास एवं संस्कृति (History & Culture), ज्यौतिष (Astrology) साहित्यशास्त्र (Rhetoric or Poetics) पुस्तकालयविज्ञान (Library Science) शासकीय लेखविज्ञान (Diplomatics) तथा राजनीतिविज्ञान (Political Science) आदि पाण्डुलिपिविज्ञान के सहायक शास्त्र माने जाते हैं । पाण्डुलिपि पुस्तकालयों तथा आधुनिक संग्रहालयों (Museums) को भी पाण्डुलिपि विज्ञान का ही प्रायोगिक अंग माना जाता है । इसी प्रकार, विविध क्षेत्रों से जुड़े प्रमाणपत्रों एवं सनदों के संग्रहालय (Record rooms) भी पुराने हो जाने पर पाण्डुलिपियों के ही रूप में व्यवहृत होने लगते हैं ।
भॅवरलाल कुमावत Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022 Article Preview
(राज्य स्तरीय पुरस्कृत शिक्षक) प्रधानाध्यापक
मातु श्रीमती रुकमा भाई रणछोड़ सिह राजपुरोहित राजकीय बालिका प्राथमिक संस्कृत विद्यालय मोहराई, भारत।
Date of Publication : 2022-02-07
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 128-142
Manuscript Number : GISRRJ203349
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203349