केदारनाथ सिंह की कविताओं में प्रकृति प्रेम

Authors(1) :-ओम प्रकाश वत्स

केदारनाथ सिंह जी ने काव्य और प्रकृति का अत्यंत ही सहज एवं आत्मीय संबंध स्थापित किया है। प्रकृति ने कवि की सर्जनात्मकता और संवेदनशीलता का तीव्र भाव मुखर एवं सजीव बनाया है। ये ग्रामीण परिवेश तथा स्वस्थ मानवीय संवेदना लेकर उठने वाले कवि हैं।

Authors and Affiliations

ओम प्रकाश वत्स
शोधार्थी (हिन्दी विभाग), तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, भारत।

सर्जनात्मकता - सृजन की योग्यता, संवेदनशीलता - अति संवेदनशील होने की अवस्था, तीक्ष्णता - पैनापन, समन्वित - समन्वय किया हुआ, दुपहरिया - दोपहर का समय, प्रभावाभिव्यंजना - विचारों को अभिव्यक्त करने की कला, सार्थकता - सार्थक होने का भाव, दुर्लभ - कठिन, अधिकाधिक - अधिक से अधिक (अत्यधिक), रहस्यमय - रहस्य से भरा हुआ, भावानुभूति - भाव की अनुभूति

  1. विश्वम्भर मानव, डाॅ. रामकिशोर शर्मा, आधुनिक कवि, पृष्ठ - 314
  2. अज्ञेय सम्पादन तीसरा सप्तक, पृष्ठ - 124
  3. विश्वम्भर मानव, डाॅ. रामकिशोर शर्मा, पृृष्ठ - 318
  4. बाघ, सिंह केदारनाथ

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 4 | July-August 2022
Date of Publication : 2022-07-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 19-23
Manuscript Number : GISRRJ2035216
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

ओम प्रकाश वत्स, "केदारनाथ सिंह की कविताओं में प्रकृति प्रेम", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 4, pp.19-23, July-August.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035216

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