Manuscript Number : GISRRJ2035220
भारत के आर्थिक विकास मे महात्मा गाँधी के आदर्शवादी विचार
Authors(1) :-डॉ. उमेश कुमार भारत में अंग्रेजी शासन से पूर्व भारतीय रहन-सहन शुद्ध रूप से प्राकृतिक परिवेश में होता रहा। परन्तु विलासिता की ओर उन्मुखता एवं अर्थव्यवस्था में मशीनीकरण को बढ़ावा ने भारतीय मूल को 'सर्वे भवन्तु सुखमय, सर्वे सन्तु निरामया' को कोसो दूर कर दिया। आजादी के की इस जर्जर अर्थव्यवस्था को विकास की पटरी पर लाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जरा श्रम का प्रयोग, भूदान व्यवस्था तथा कुटीर उद्योग व्यवस्था इत्यादि चलायी गयी जो पुनः भारतीय संस्कृति को स्थापित करने का एक मूल माध्यम था। परन्तु विदेशी कम्पनियों आज इतनी हावी हो गयी है कि गाँधी जी का यह स्वप्न चूर-चूर नजर आने लगा है।
डॉ. उमेश कुमार अर्थव्यवस्था, मनरेगा, सर्वोदय, महात्मा गाँधी, भारत। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
सहायक प्राध्यापक स्नातकोत्तर इतिहास विभाग, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद
Date of Publication : 2020-10-30
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Page(s) : 143-145
Manuscript Number : GISRRJ2035220
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035220