भारत के आर्थिक विकास मे महात्मा गाँधी के आदर्शवादी विचार

Authors(1) :-डॉ. उमेश कुमार

भारत में अंग्रेजी शासन से पूर्व भारतीय रहन-सहन शुद्ध रूप से प्राकृतिक परिवेश में होता रहा। परन्तु विलासिता की ओर उन्मुखता एवं अर्थव्यवस्था में मशीनीकरण को बढ़ावा ने भारतीय मूल को 'सर्वे भवन्तु सुखमय, सर्वे सन्तु निरामया' को कोसो दूर कर दिया। आजादी के की इस जर्जर अर्थव्यवस्था को विकास की पटरी पर लाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जरा श्रम का प्रयोग, भूदान व्यवस्था तथा कुटीर उद्योग व्यवस्था इत्यादि चलायी गयी जो पुनः भारतीय संस्कृति को स्थापित करने का एक मूल माध्यम था। परन्तु विदेशी कम्पनियों आज इतनी हावी हो गयी है कि गाँधी जी का यह स्वप्न चूर-चूर नजर आने लगा है।

Authors and Affiliations

डॉ. उमेश कुमार
सहायक प्राध्यापक स्नातकोत्तर इतिहास विभाग, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद

अर्थव्यवस्था, मनरेगा, सर्वोदय, महात्मा गाँधी, भारत।

  1. आर्थिक विचारों का इतिहास, संस्करण 1997, पृ0 520.
  2. सिन्हा, वी0सी0 आर्थिक विचारों का इतिहास, पृ0481.
  3. हजेला, टी0एन0, आर्थिक विचारों का इतिहास, टी0एन0 हजेला, पृ0 521.
  4. आधुनिक भारत NCERT, पृ0168.
  5. आधुनिक भारत NCERT, 90 173.
  6. चन्द्रा, विपिन, भारत का स्वतन्त्रता संघर्ष, पृ0447.
  7. आर्थिक विचारों का इतिहास, पृ0 523.
  8. चन्द्रा, विपिन, भारत का स्वतन्त्रता संघर्ष, विपिन चन्द्रा, पृ0441.
  9. हजेला, टी0एन0, आर्थिक विचारों का इतिहास, पृ0523.

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020
Date of Publication : 2020-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 143-145
Manuscript Number : GISRRJ2035220
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. उमेश कुमार, "भारत के आर्थिक विकास मे महात्मा गाँधी के आदर्शवादी विचार ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 5, pp.143-145, September-October.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035220

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