भारतीय काव्यशास्त्र में रीति सम्प्रदाय की अवधारणा एवं उसके विविध आयामों का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors(1) :-डाॅ0 अनिल कुमार सिंह

काव्य-रचना-प्रक्रिया भाषा के माध्यम से चलती है। हमारा समूचा जीवन व्यवहार ही भाषा के माध्यम से परिचालित होता है। रोजमर्रा की प्रचलित भाषा हमें विरासत में उपलब्ध होती है और इसी भाषा सामग्री को हम अपने अनुभव, विचार आदि को दूसरों तक संप्रेषित करने के लिए उपयोग में लाते हैं। लोक व्यवहार में प्रचलित विरासत में मिली इसी भाषा का प्रयोग कवि भी अपनी काव्य रचना में करता है। अपनी रचना प्रक्रिया के क्रम में कवि इस भाषा के विन्यास को किसी विशिष्ट संवेदना या अनूभूति की अभिव्यक्ति के लिए किंचित तोड़-फोड़ देता है। इस तोड़-फोड़ से भाषा के पद या पद-समूह किन्हीं विशिष्ट अर्थवक्ताओं से प्रदीप्त हो उठते हैं और उनमें सौंदर्य और रमणीयता उत्पन्न हो जाती है। कवि के लिए भाषा के रूप का नहीं उसके स्वरूप का महत्व होता है। किसी खास संवेदना की अभिव्यक्ति के लिए विशिष्ट-पद रचना द्वारा प्रचलित भाषा के स्वरूप में हुए परिर्वतन से उत्पन्न अर्थ और उस खास संवेदना का पाठकों तक संप्रेषण और समान उद्दीपन रचना प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है। भारतीय काव्यशास्त्रियों ने कवि की अनुभूति को विशिष्ट पद-रचना द्वारा अभिव्यक्त करने के इस क्रम को मार्ग या रीति की संज्ञा दी है। पाश्चात्य् काव्य चिन्तन में इसे ही शैली (ैजलसम) की संज्ञा दी गयी है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 अनिल कुमार सिंह
एसोशिएट प्रोफेसर: हिन्दी-विभाग, का0सु0 साकेत पी0जी0 कालेज, अयोध्या, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश।

रीति, शैली, काव्यशास्त्र, विशिष्ट पद-रचना, वामन, मम्मट, राजेशखर, कुन्तक।

  1. हिन्दी साहित्य का इतिहास, डा0 नगेन्द्र, मयूर प्रकाशन
  2. काव्यशास्त्र, भगीरथ मिश्र, विश्वविद्यालय प्रकाशन, बाराणसी
  3. काव्य के तत्व, देवेन्द्र नाथ शर्मा, लोकभारती प्रकाशन
  4. भारतीय काव्यशास्त्र की भूमिका, डा0 नगेन्द्र, नेशनल पब्लिशिंग हाउस
  5. भारतीय एवं पाश्चात्य काव्य सिद्धान्त, गणपति चंद्र गुप्त, लोकभारती प्रकाशन
  6. काव्यार्थ चिन्तन, जी.एस. शिवरुद्रप्पा, साहित्य अकादमी
  7. भारतीय काव्यशास्त्र, प्रो0 योगेन्द्र प्रताप सिंह, लोकभारती प्रकाशन
  8. हिन्दी साहित्य का अतीत (दूसरा भाग-श्रंृगार काल), आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, वाणी प्रकाशन।

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019
Date of Publication : 2019-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 125-129
Manuscript Number : GISRRJ2035281
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 अनिल कुमार सिंह, "भारतीय काव्यशास्त्र में रीति सम्प्रदाय की अवधारणा एवं उसके विविध आयामों का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 3, pp.125-129, May-June.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035281

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