श्रीमद्भगवद्गीता के निष्काम कर्मयोग की उपादेयता

Authors(1) :-डाॅ. भारत भूषण द्विवेदी

श्रीमद्भगवद्गीता में मोक्ष या मुक्ति की प्राप्ति हेतु ज्ञानमार्ग, भक्तिमार्ग और कर्ममार्ग का उपदेश दिया गया है। भारतीय दर्शन में मुक्ति केवल शरीर त्याग के पश्चात् ही नहीं मानी गयी है, शरीरधारण के साथ भी मुक्ति की संकल्पना का विधान है। इस जीवन के रहते मुक्ति जीवनमुक्ति तथा शरीरत्याग के पश्चात् मुक्ति विदेहमुक्ति कही गयी है। परन्तु शरीरधारण करते हुए भी मुक्ति कैसे संभव हो सकती है, इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञानमार्ग, भक्तिमार्ग तथा कर्ममार्ग का विस्तृत वर्णन किया है। यद्यपि मुक्ति हेतु तीनों मार्गों में कोई तात्त्विक विरोध नहीं है, फिर भी एक साधारण संसारी व्यक्ति के लिए कर्मयोग का मार्ग अपेक्षाकृत सरल और सुगम मार्ग के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कर्मयोग को गीता में ‘निष्काम कर्मयोग’, ‘बुद्धियोग’ अथवा केवल ‘योग’ के नाम से भी कहा गया है। ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ कर्मयोग का प्रसिद्ध वाक्य है। व्यक्ति जीवन धारण करने के साथ ही अपने सभी कत्र्तव्यों का निर्वहण करते हुए भी इस मार्ग पर चलकर परम् शान्ति का अनुभव करते हुए मुक्त हो सकता है। इस प्रकार निष्काम कर्मयोग का मार्ग व्यावहारिक दृष्टि से अधिकाधिक लोगों के लिए सुलभ मार्ग सिद्ध होता है। इस मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति जीवनमुक्ति की दशा में स्थित रहते हुए परम् आनन्द प्राप्त करता हुआ शरीर त्याग के बाद विदेहमुक्ति की अवस्था को प्राप्त हो जाता है तथा पूर्णतया जीवन मृत्यु के बन्धन से मुक्त हो जाता है।

Authors and Affiliations

डाॅ. भारत भूषण द्विवेदी
एसोसिएट प्रोफेसर (संस्कृत), बुद्ध विद्यापीठ महाविद्यालय, सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश, भारत

निष्काम, कर्मयोग, श्रीमद्गवद्गीता मुक्ति ज्ञानमार्ग, भक्तिमार्ग।

  1. भारतीय दर्शन की रूपरेखा- प्रो0 हरेन्द्र प्रसाद सिन्हा, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली
  2. भारतीय दर्शन (आलोचन एवं अनुशीलन)- चन्द्रधर शर्मा, मोतीलाल बनासीदास, दिल्ली
  3. संस्कृतनिबन्धशतकम् - डाॅ. कपिलदेव द्विवेदी, विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी
  4. श्रीमद्भगवद्गीता - श्रीमद् ए. सी. भक्तिवेदान्त, भक्तिवेदान्त बुक ट्रस्ट, मुंबई
  5. भारतीय दर्शन की रूपरेखा - आचार्य बलदेव उपाध्याय, चैखम्भा ओरियेन्टालिया, दिल्ली
  6. भारतीय दर्शन का इतिहास- डाॅ. सुरेन्द्रनाथ दासगुप्त, राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी,जयपुर
  7. भारतीय दर्शन (ऐतिहासिक और समीक्षात्मक विवेचन)- डाॅ. नन्द किशोर देवराज, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
  8. कर्मयोग - श्री अश्विनी कुमार दत्त, हिन्दी पुस्तकभवन, कलकत्ता

Publication Details

Published in : Volume 2 | Issue 3 | May-June 2019
Date of Publication : 2019-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 149-154
Manuscript Number : GISRRJ2035286
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. भारत भूषण द्विवेदी, "श्रीमद्भगवद्गीता के निष्काम कर्मयोग की उपादेयता ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 2, Issue 3, pp.149-154, May-June.2019
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035286

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