पुराण और भारतीय संस्कृति

Authors(1) :-श्रीमती कृतिका शर्मा

पुराण विश्व साहित्य के प्रचीनत्म ग्रँथ हैं। उन में लिखित ज्ञान और नैतिकता की बातें आज भी प्रासंगिक, अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं। वेदों की भाषा तथा शैली कठिन है। पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण हैं। राष्ट्र अपना इतिहास इसी दृष्टिकोण से लिखता है कि उसका उद्देश्य पुष्ट हो। महर्षियों में भी भूगोल इतिहास, व्यक्ति, घटना आदि का इसी दृष्टि से वर्णन किया। जो स्थल, घटनाएँ या व्यक्ति समाज के लिये आध्यात्मिक प्रेरणा देने में किसी प्रकार सहायक हो सकते थे, वे चाहे साधारण दृष्टि से कम महत्त्वपूर्ण हों उनका वर्णन किया गया, और जो इस लक्ष्य में प्रेरक नहीं थे, वे चाहे जितने महत्त्वपूर्ण रहे हों उनकी चर्चा नहीं है। जैसे पुराणों में यह कहीं पता नहीं लगता कि जम्बूद्वीप का बड़ा भाग कब, क्यों और कैसे जलमग्न हुआ।

Authors and Affiliations

श्रीमती कृतिका शर्मा
प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय किशनपुरा टोंक, राजस्थान।

भारतीय, संस्कृति, पुराण, आध्यात्मिक, समाज, राष्ट्र।

  1. वायुपुराण, 1/203
  2. अथर्ववेद, 1177124
  3. छान्दोग्योपनिषद्, 7/1/2
  4. सनातन धर्म और पुराण एक समीक्षा, डॉ. श्रीयुत अ. द. पुसालकर
  5. सनातन धर्म और पुराण, श्री सुदर्शन जी चक्र
  6. श्रीमद्भागवत, 3/12/39
  7. मत्स्यपुराण
  8. सनातन धर्म और पुराण, श्री सुदर्शन जी
  9. श्री सनातन धर्म सभा शताब्दी ग्रन्थ पृ. 116 ग

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020
Date of Publication : 2020-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 192-197
Manuscript Number : GISRRJ203531
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

श्रीमती कृतिका शर्मा, "पुराण और भारतीय संस्कृति", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 3, pp.192-197, May-June.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203531

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