Manuscript Number : GISRRJ20362
नवगीत एक पहचान
Authors(1) :-डाॅ0 राजेश कुमार मिश्र नवगीत का काल 1955 से आरंभ होेता है। ड़ा0 राजेन्द्र सिंह द्वारा सम्पादित गीतांगिनी की भूमिका में नवगीत का उल्लेख मिलता है। परिवर्तन को पूरी तरह आत्मसात करते हुए मध्यवर्गीय, चिंतनशील समाज को इसमें चित्रित किया गया है। एक संतुलित अभिव्यक्ति के साथ काल को उसके अनुरूप रुपायित करने वाली कविता ही हर काल में प्रासंगिक होती है। इस काल के गहन बोध को नवगीत में अभिव्यक्ति मिली है।सन्-1980 का दशक यदि नई कविता के चरमोत्कर्ष का काल था तो नवगीत भी एक पर्याप्त परिवर्तित विकसित अवस्था के काल पर अपने अधिपत्य की घोषणा कर रहा था क्योंकि इसमें रचनात्मकता थी और सार्थकता भी ,जो कविता के सभी गुणों से परिपूर्ण थी। ’’वास्तव मेें नवगीत काल चेष्टा की ऐसी चाहना है, जिसंे तर्कना से नही पाया जा सकता। यह चाहना तर्कना के तल पर आकर भी कमजोर नही होती वरन् अधिक
डाॅ0 राजेश कुमार मिश्र दुर्निवार हो जाता है, वह चाहना में अंतर्भुक्त होकर स्वयं ही उत्प्रेरित होती रहती है, वैसे ही जैसे कोई कस्तूरी मृग उन्मादित होता रहता है। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020 Article Preview
सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, मर्यादा देवी कन्या पी0जी0 कालेज, बिरगापुर, हनुमानगंज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,भारत।
Date of Publication : 2020-11-30
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Page(s) : 08-11
Manuscript Number : GISRRJ20362
Publisher : Technoscience Academy
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