Manuscript Number : GISRRJ213214
सन्धि प्रकरण के पारिभाषिक शब्दों की समीक्षा
Authors(1) :-डॉ. सुभाषचन्द्र मीणा सम् उपसर्ग पूर्वक ‘धा’ धातु से ‘उपसर्गे घो कि’ सूत्र से ‘कि’ प्रत्यय होने पर सन्धि शब्द की निष्पत्ति हुई है । सन्धि एक पुल्लिंग शब्द है । जिसका सामान्य अर्थ दो शब्दों के मेल को सन्धि कहते हैं। पाणिनि ने परः ‘सन्निकर्षःसंहिता’1 सूत्र की सहायता से बताया है कि वर्णों की अत्यधिक निकटता ही सन्धि होती है । धातु और उपसर्ग को जोडने पर दोनों के बीच सन्धि आवश्यक है, समास करने पर भी सन्धि करना अनिवार्य है लेकिन वाक्य बनाते समय सन्धि करे या न करें यह वक्ता की इच्छा पर है । लघुसिद्धान्त कौमुदी के अनुसार सन्धि स्वर, व्यंजन तथा विसर्ग के रुप में तीन प्रकार की होती है । तथा वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी के अनुसार सन्धि स्वर, व्यंजन, विसर्ग, प्रकृतिभाव तथा स्वादि के रुप में पाँच प्रकार की होती है । पाणिनीय अष्टाध्यायी में सन्धि प्रकरण के सूत्रों में निहित पारिभाषित शब्दों का प्रयोग किया गया है जो संज्ञा शब्द जिस अर्थ विशेष का द्योतक होता है उस विशेष अर्थ की प्रतिती इन पारिभाषिक संज्ञा शब्दों द्वारा होती है । यह पारिभाषिक शब्द महत्त्वपूर्ण है जिनके माध्यम से सन्धिकरण में निहीत अन्य सूत्रों की व्याख्या भी सरल एवं सुस्पष्ट रुप में दिखाई देती है । पारिभाषिक शब्द गागर में सागर भरने का काम करते हैं ।
डॉ. सुभाषचन्द्र मीणा सन्धि ‚ पारिभाषिक‚ श्ब्द‚ प्रत्यय‚उपसर्ग‚वर्ण‚धातु अर्थ‚ पाणिनि। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021 Article Preview
सहायकाचार्य (व्याकरण विभाग), केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, क. जे. सोमैया परिसर, मुम्बई,भारत।
Date of Publication : 2021-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 113-122
Manuscript Number : GISRRJ213214
Publisher : Technoscience Academy
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