लोक कला की अविरल धारा

Authors(1) :-डाॅ. संतोष बिंद

'लोक कलाएँ बाह्य विश्रृंखलाओं को तोड़कर देशकाल वर्ग जाति व धर्म के घेरे में न बँधकर सार्वदेशिक एवं सार्वकालिक होती है। सार्वजनीन भावना की यह रसधारा किसी राष्ट्र तक सीमित नहीं रहती, अन्तर्राज्य व अन्र्तराष्ट्र की सभी प्रकार की आचार व सीमाओं को पार कर वह विश्व-मानव को एकसूत्र में पिरो देती है।

Authors and Affiliations

डाॅ. संतोष बिंद
प्रवक्ता, राजकीय बालिका इंटर काॅलेज, हुसैनगंज, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश, भारत।

लोक, कला, भारतीय, जीवन, भावना, वर्ग, धर्म, धारा।

  1. लोक जीवन में कला, डाॅ0 हृदय गुप्ता (कला त्रैमासिक, अंक-33), पृ0सं0 05
  2. लोकतत्व, डाॅ0 वासुदेव शरण अग्रवाल (भारतीय लोककलाओं के विविध आयाम, अयोध्या प्रसाद ‘कुमुद’), पृ0सं0 16
  3. लोक संस्कृति की अवधारणा, डाॅ0 त्रिभुवन नाथ शुक्ल (भारतीय लोक कलाओं के विविध आयाम), अयोध्या प्रसाद ‘कुमुद’ पृ0सं0 36
  4. बहुजन अर्थबोध की अभिव्यंजना, अजय जैतली (कला त्रैमासिक, अंक-35, ललित कला में दलित चेतना विशेषांक), पृ0सं0 08
  5. भारतीय सौन्दर्यशास्त्र एवं ललित कलाये, डाॅ0 प्रेमा मिश्रा, पृ0सं0 94
  6. भोजपुरी लोकगीतों मंे कला, डाॅ0 कृष्णदेव उपाध्याय (सम्मेलन पत्रिका, कला अंक), पृ0 341
  7. भारतीय सौन्दर्यशास्त्र एवं ललित कलाये, डाॅ0 प्रेम मिश्रा, पृ0सं0 92
  8. वाराणसी जनपद की लोककलाओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन, राम शब्द सिंह, (अप्रकाशित शोध ग्रन्थ)
  9. भारतीय सौन्दर्यशास्त्र एवं ललित कलाये, डाॅ0 प्रेमा मिश्रा, पृ0सं0 93
  10. लोक चित्रकला, परम्परा और रचना दृष्टि, श्याम सुन्दर दूबे, पृ0सं0 7, 8
  11. सिमटा हुआ मानस, शुकदेव क्षोत्रिय (कला त्रैमासिक, अंक-28, 2002), लोक कला विशेषांक, पृ0सं0 30
  12. लोक कला: एक सिंहावलोकन, भवानी शंकर शुक्ल (संस्कृति दर्शन, 1991, अंक-3, वर्ष 2), पृ0सं0 80
  13. आम आदमी के लिए कला, सुरेन्द्र पाण्डेय (कला दीर्घा, अंक-12, वर्ष-6 पृ0सं0 16
  14. लोक-कलाओं का सर्वांगीण साम्राज्य, वसुधा योगी कला त्रैमासिक, अंक-33, लोक जीवन में कला विशेषांक, पृ0सं0 15
  15. बनारस की चित्रकला, डाॅ0 एच0एन0 मिश्रा, पृ0सं0 231
  16. भारतीय चित्रकला, वाचस्पति गैराला, पृ0सं0 249
  17. व्यवसायिकता की देह में लोककला की आत्मा, डाॅ0 वंदना शर्मा (राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत शोध के प्रकाशन से) पृ0सं0 44 फोम वर्ड-08 4’’ 8 5’’ दिसम्बर 2008 लोक आर्ट एण्ड इट्स इम्पेक्ट आॅन माॅडर्न आर्ट)
  18. विंध्य क्षेत्र की लोक चित्रकला, नन्दिता शर्मा, पृ0सं0 59
  19. विन्ध्य क्षेत्र की लोक चित्रकला, नन्दिता शर्मा, पृ0सं0 50
  20. लोक चित्रकला, परम्परा और चरनादृष्टि, श्याम सुन्दर दूबे, पृ0सं0 05

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 138-143
Manuscript Number : GISRRJ213217
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. संतोष बिंद , "लोक कला की अविरल धारा ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 2, pp.138-143, March-April.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ213217

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