नीरसता से परे जीवन की सार्थकता की वकालत करती जन आंदोलंकारी कविताएँ

Authors(1) :-डॉ अर्चना त्रिपाठी

'स्‍वातंत्र्योत्‍तर' भारत का परिदृश्‍य पंचवर्षीय योजनाओं, युद्धों, परमाणु परीक्षणों और साम्राज्‍यवाद के आगे समर्पण से ही निर्मित नहीं होता बल्कि तेलंगाना, नक्‍सलबाड़ी से लेकर संपूर्ण क्रांति आंदोलन, देश की स्‍वतंत्रता से हताश नौजवानों, किसानों की आत्‍महत्‍या, महिला-उत्‍पीड़न, अस्मिता विमर्श मूलक आंदोलनों यानी सामाजिक, नव सामाजिक आंदोलनों से भी निर्मित होता है।

Authors and Affiliations

डॉ अर्चना त्रिपाठी
असिस्टेंट प्रोफेसर, डॉ भीमराव अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय।, भारत।

नीरसता जीवन सार्थकता आंदोलन सामाजिक आंदोलन साम्राज्‍यवाद।

  1. साठोत्तरी कविता विद्रोही प्रतिमान - रतन कुमार पांडेय, अनंग प्रकाशन, दिल्ली
  2. नक्सलबाड़ी आंदोलन और समकालीन हिंदी कविता - देवेंद्र, मेधा बुक्स, दिल्ली।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 2 | March-April 2021
Date of Publication : 2021-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 151-153
Manuscript Number : GISRRJ213219
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ अर्चना त्रिपाठी , "नीरसता से परे जीवन की सार्थकता की वकालत करती जन आंदोलंकारी कविताएँ ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 2, pp.151-153, March-April.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ213219

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