Manuscript Number : GISRRJ21331
आज़ादी के बाद की राजनीति और हरिशंकर परसाई के व्यंग्य
Authors(1) :-डाॅ. कविता राजन हरिशंकर परसाई का व्यंग्य लोगों की राजनीतिक चेतना का विकास करता है। लोगों को राजनीतिक रूप से जागरूक बनाता है। वे राजनीतिक रूप से प्रतिबद्ध थे। इसी प्रतिबद्धता के साथ उन्होंने घटनाओं का मूल्यांकन किया है। इस क्रम में राजनीतिक अवसरवाद, भ्रष्टाचार, दलबदल, राजनीति की सिद्धांतहीनता तथा सांप्रदायिकता पर उनके व्यंग्य अत्यन्त सशक्त बन पड़े हैं। यह सब होते हुए भी परसाई जी के राजनीतिक व्यंग्यों का अपना महत्व है।
डाॅ. कविता राजन हरिशंकर परसाई, राजनीतिक, साहित्य, आज़ादी, व्यंग्य, सांप्रदायिकता, अवसरवाद, भ्रष्टाचार, दलबदल, सिद्धान्तहीनता। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर, सत्यवती महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, भारत।
Date of Publication : 2021-05-30
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Page(s) : 04-09
Manuscript Number : GISRRJ21331
Publisher : Technoscience Academy
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