आज़ादी के बाद की राजनीति और हरिशंकर परसाई के व्यंग्य

Authors(1) :-डाॅ. कविता राजन

हरिशंकर परसाई का व्यंग्य लोगों की राजनीतिक चेतना का विकास करता है। लोगों को राजनीतिक रूप से जागरूक बनाता है। वे राजनीतिक रूप से प्रतिबद्ध थे। इसी प्रतिबद्धता के साथ उन्होंने घटनाओं का मूल्यांकन किया है। इस क्रम में राजनीतिक अवसरवाद, भ्रष्टाचार, दलबदल, राजनीति की सिद्धांतहीनता तथा सांप्रदायिकता पर उनके व्यंग्य अत्यन्त सशक्त बन पड़े हैं। यह सब होते हुए भी परसाई जी के राजनीतिक व्यंग्यों का अपना महत्व है।

Authors and Affiliations

डाॅ. कविता राजन
एसोसिएट प्रोफेसर, सत्यवती महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, भारत।

हरिशंकर परसाई, राजनीतिक, साहित्य, आज़ादी, व्यंग्य, सांप्रदायिकता, अवसरवाद, भ्रष्टाचार, दलबदल, सिद्धान्तहीनता।

  1. हरिशंकर परसाई, ‘तुलसीदास चंदन घिसैं’, पृ. 43
  2. परसाई रचनावली-1, (सं.) मण्डल, कमलाप्रसाद, धनंजय वर्मा, श्यामसुन्दर मिश्र, मलय, श्याम कश्यप, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करणः जनवरी 2005, पृ. 199
  3. परसाई रचनावली-4, पृ. 32
  4. परसाई रचनावली-4, पृ. 33
  5. परसाई रचनावली-5, पृ. 81
  6. परसाई रचनावली-4, पृ. 34
  7. परसाई रचनावली-1, पृ. 396
  8. कमला प्रसाद (सं.), ‘युगसाक्षी’, हरिशंकर परसाई’, साहित्य भण्डार, इलाहाबाद, 2004, पृ. 230
  9. परसाई रचनावली-3, पृ. 75
  10. वही, पृ. 77
  11. कमला प्रसाद (सं.), ‘आँखन देखी’, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 2000, पृ. 49
  12. परसाई रचनावली-1, (सं.) मण्डल, कमलाप्रसाद, धनंजय वर्मा, श्यामसुन्दर मिश्र, मलय, श्याम कश्यप, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करणः जनवरी 2005, पृ. 317
  13. परसाई रचनावली-1, पृ. 319
  14. परसाई रचनावली-4, पृ. 400
  15. परसाई रचनावली-1, पृ. 161
  16. परसाई रचनावली-3, पृ. 224
  17. परसाई रचनावली-4, पृ. 105
  18. हरिशंकर परसाई, ‘तुलसीदास चंदन घिसैं’, पृ. 148-149

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021
Date of Publication : 2021-05-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 04-09
Manuscript Number : GISRRJ21331
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. कविता राजन, "आज़ादी के बाद की राजनीति और हरिशंकर परसाई के व्यंग्य", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 3, pp.04-09, May-June.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21331

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