Manuscript Number : GISRRJ21335
सतीविजय गद्यकाव्य में अलंकार योजना
Authors(2) :-डाॅ॰ अरुणा शर्मा, सुमन कवि जयनारायण यात्री द्वारा रचित ‘सतीविजय’ गद्यकाव्य में अलंकार-योजना के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि काव्य में अलंकारों का प्रयोग सहज एवं प्रतिपाद्य विषय के अनुकूल है । कवि ने अलंकारांे का प्रयोग बलात् नहीं किया अपितु उनकी वाणी में यह कला स्वाभाविक रूप से सिद्ध है । कवि ने शब्दालंकार तथा अर्थालंकारांे के साथ-साथ दोनों प्रकार के अलंकारों के मिश्रित रूप ‘उभयालंकार’ का भी बहुत सुन्दर रूप मंे निबन्धन किया है । उन्होंने प्रस्तुत गद्यकाव्य में सुन्दर, सरल एवं यथावसर अलंकारों का प्रयोग कर-गद्यकाव्य को शोभायुक्त तथा समृद्ध रूप प्रदान करने का सफल प्रयास किया है । प्रस्तुत गद्यकाव्य में अनुप्रास के नाना भेदों की छटा पदे-पदे विद्यमान है । अर्थालंकारों की योजना भी भाषा के प्रवाह में इस प्रकार निबद्ध है, जैसे नदी के प्रवाह में तरंगे । अलंकारों की इस सहज और स्वाभाविक योजना ने काव्य के कथाप्रवाह को अत्यन्त मनोरम और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया है । अतः निस्सन्देह यह कहा जा सकता है कि कवि जयनारायण यात्री अलंकारयोजना में सिद्धहस्त हैं।
डाॅ॰ अरुणा शर्मा जयनारायण यात्री, सतीविजय, गद्यकाव्य,अलंकार,भाषा,काव्य। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021 Article Preview
प्रोफेसर, शोधनिर्देशिका, संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, भारत।
सुमन
शोधार्थी, संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, भारत।
Date of Publication : 2021-05-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 24-34
Manuscript Number : GISRRJ21335
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21335