सतीविजय गद्यकाव्य में अलंकार योजना

Authors(2) :-डाॅ॰ अरुणा शर्मा, सुमन

कवि जयनारायण यात्री द्वारा रचित ‘सतीविजय’ गद्यकाव्य में अलंकार-योजना के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि काव्य में अलंकारों का प्रयोग सहज एवं प्रतिपाद्य विषय के अनुकूल है । कवि ने अलंकारांे का प्रयोग बलात् नहीं किया अपितु उनकी वाणी में यह कला स्वाभाविक रूप से सिद्ध है । कवि ने शब्दालंकार तथा अर्थालंकारांे के साथ-साथ दोनों प्रकार के अलंकारों के मिश्रित रूप ‘उभयालंकार’ का भी बहुत सुन्दर रूप मंे निबन्धन किया है । उन्होंने प्रस्तुत गद्यकाव्य में सुन्दर, सरल एवं यथावसर अलंकारों का प्रयोग कर-गद्यकाव्य को शोभायुक्त तथा समृद्ध रूप प्रदान करने का सफल प्रयास किया है । प्रस्तुत गद्यकाव्य में अनुप्रास के नाना भेदों की छटा पदे-पदे विद्यमान है । अर्थालंकारों की योजना भी भाषा के प्रवाह में इस प्रकार निबद्ध है, जैसे नदी के प्रवाह में तरंगे । अलंकारों की इस सहज और स्वाभाविक योजना ने काव्य के कथाप्रवाह को अत्यन्त मनोरम और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया है । अतः निस्सन्देह यह कहा जा सकता है कि कवि जयनारायण यात्री अलंकारयोजना में सिद्धहस्त हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ॰ अरुणा शर्मा
प्रोफेसर, शोधनिर्देशिका, संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, भारत।
सुमन
शोधार्थी, संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, भारत।

जयनारायण यात्री, सतीविजय, गद्यकाव्य,अलंकार,भाषा,काव्य।

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Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021
Date of Publication : 2021-05-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 24-34
Manuscript Number : GISRRJ21335
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ॰ अरुणा शर्मा, सुमन, "सतीविजय गद्यकाव्य में अलंकार योजना", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 3, pp.24-34, May-June.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21335

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