साठोत्तरी पीढ़ी के महत्वपूर्ण रचनाकार के रूप में ज्ञानरंजन के कथाकार-व्यक्तित्व की निर्मिति

Authors(1) :-डाॅ. विशाल श्रीवास्तव

साठोत्तरी पीढ़ी के महत्वपूर्ण कथाकार व ‘पहल’ पत्रिका के सम्पादक के रूप में ज्ञानरंजन का योगदान अप्रतिम है। बेहद कम लिखने के बावजूद ज्ञानरंजन का उत्कृष्टता का प्रतिमान बहुत ऊँचा और विशिष्ट है। ज्ञानरंजन की कहानियों में नैतिकता का कोई आग्रह नहीं है तथा आधुनिकता, परम्परा-बोध, अराजकता और गहरे साहित्यिक प्रशिक्षण से उनके व्यक्तित्व की निर्मिति सम्भव हुई है। ज्ञानरंजन हमारे समय और समाज के बदलाव के गहरे आब्जर्वर हैं, वे पूरी ताकत के साथ परिवर्तनों और विचलनों को न केवल दर्ज़ करते हैं बल्कि उससे सम्बद्ध यथार्थ को पूरी शिद्दत से और बिना किसी संकोच के अनावृत्त करते हैं। ज्ञानरंजन अपनी आरम्भिक विचारशीलता में बीटनिक कविता से गहरे तक प्रभावित थे, मध्यवर्गीय पाखंड के खिलाफ एक तीखा व्यंग्य उनकी कहानियों में इसलिए मिलता है क्योंकि वे एंटी इस्टैबलिशमेंट थे। ज्ञानरंजन की कहानियाँ मनुष्य के सामाजिक सम्बन्धों की आलोचनात्मक पड़ताल करती हुई कहानियाँ हैं और वे अपनी कहानियों में मानवीय अनुभवों के उत्स तक पहुंचने का सार्थक प्रयास करते हुए दिखाई देते हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ. विशाल श्रीवास्तव
असिस्टेण्ट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, राजकीय महाविद्यालय, पचवस, बस्ती, उत्तर प्रदेश, भारत।

नयी कहानी, ज्ञानरंजन, साठोत्तरी पीढ़ी, आधुनिकता, अराजकता, सातवाँ दशक, इलाहाबाद, नेहरूवियन समाजवाद, रूढ़िवाद, भारतीय मध्यवर्ग, पहल, सम्पादन।

  1. ज्ञानरंजन के बहाने, नीलाभ, नयी किताब, दिल्ली, 2013, पृष्ठ 22
  2. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 30
  3. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 19
  4. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 20
  5. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 25
  6. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 5
  7. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 5
  8. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 27
  9. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 73
  10. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 88
  11. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 103
  12. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 109
  13. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 113
  14. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 115
  15. प्रतिनिधि कहानियाँ, ज्ञानरंजन, राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1984, पृष्ठ 116
  16. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 109
  17. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 110
  18. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 150
  19. उपस्थिति का अर्थ, ज्ञानरंजन, सेतु प्रकाशन प्रा. लि., 2020, पृष्ठ 159

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021
Date of Publication : 2021-05-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 45-51
Manuscript Number : GISRRJ21338
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. विशाल श्रीवास्तव, "साठोत्तरी पीढ़ी के महत्वपूर्ण रचनाकार के रूप में ज्ञानरंजन के कथाकार-व्यक्तित्व की निर्मिति ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 3, pp.45-51, May-June.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21338

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