Manuscript Number : GISRRJ21339
कवि केदारनाथ सिंह की काव्यभाषा का विश्लेषण
Authors(2) :-अनुसुइया मिश्रा, डाॅ. अनुराग मिश्र तीसरा सप्तक से प्रारम्भ होकर समकालीन कविता तक की अंतर्यात्रा में केदारनाथ सिंह हर पड़ाव के महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें नागार्जुन के बाद हिन्दी कविता का सबसे लोकप्रिय कवि माना जाता है जो यह सिद्ध करता है कि कविता की क्लासिकी परम्परा से लेकर आधुनिकता व लोकजीवन की बहुवर्णी रंगतें उनकी कविता की संरचना के भीतर कितने गहरे तक मौजूद हैं। समाज, लोकजीवन, राजनीति, सांप्रदायिकता, संस्कृतिबोध और देशज जीवन के अनगिनत पक्ष उनकी कविताओं में उभरते हैं और एक अर्थपूर्ण उपस्थिति में बदल जाते हैं। अपने समग्र काव्य-चिन्तन में केदार जी ने भाषा को सर्वाधिक महत्त्व दिया है। भाषा का सौंदर्य, उसकी बिम्बात्मकता, व्यंजनात्मक स्वभाव, स्मृतिराग और शब्दों का सधा- संतुलित प्रयोग उनके काव्य की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं के अंतर्गत आता है। वह अनुभूति और सम्प्रेषण दोनों को महत्त्व देते हैं। समकालीन हिन्दी कविता की विशेषताओं को केदार जी की कविताओं पर विचार किये बिना नहीं समझा जा सकता।
अनुसुइया मिश्रा तीसरा सप्तक, नयी कविता, समकालीनता, बिम्बधर्मिता, सम्प्रेषणात्मकता, देशज व लोकजीवन। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020 Article Preview
शोधार्थी, हिन्दी, का.सु.साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत।
डाॅ. अनुराग मिश्र
एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी-विभाग, का.सु.साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2020-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 144-151
Manuscript Number : GISRRJ21339
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21339