Manuscript Number : GISRRJ21340
रवीन्द्रनाथ टैगोर के साहित्य में स्त्री, समाज और राष्ट्र
Authors(1) :-डाॅ0 रुचि पाण्डेय मानव से समाज, समाज से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व बनता है। इसलिए विश्व कल्याण के लिए ’’मानव’’ को अकेले ही चलना होगा। उनका यह गीत ’’एकला चलोरे’’ सम्बन्धतः इन्हीं भावों को अभिव्यक्त करता है।
डाॅ0 रुचि पाण्डेय रवीन्द्रनाथ,टैगोर, साहित्य, स्त्री, समाज, राष्ट्र। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर संस्कृत, आगरा काॅलेज, आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2020-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 76-78
Manuscript Number : GISRRJ21340
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21340