लिपियों का प्रयोग और संताली वर्णों में विविधता

Authors(1) :-डॉ. धनेश्वर मांझी

रूप में संताली समृद्धशाली लोक एवं शिष्ट साहित्य की परम्परा के बावजूद संताली भाषा का मानक रूप निर्धारण नहीं हो सका है। इसलिए शब्द उच्चारण, शब्द प्रयोग तथा वाक्य सरचना में एकरूपता नहीं आ पायी है। हालांकि 22 दिसम्बर 2003 को भारतीय संविधान की आठवों अनुसूची के तहत इसे भाषा का दरजा प्रदान कर दिया गया है, परंतु संताली भाषा के मानकीकरण का सवाल अभी तक हल नहीं किया जा सका है। संताली भाषा पांच लिपियों देवनागरी, उडिया, बाला, रोमन के साथ उनके पास अपनी स्वयं की लिपि श्ओलचिकिश् है जो संताली भाषा के लिए ध्वनिमूलक दृष्टि से सटीक, आर्थिक रूप से स्वीकार्य, मनोवैज्ञानिक रूप से अनुकूल और आदिवासी विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने हेतु अपेक्षाकृत आसान है। इसका अपना स्वतंत्र व्याकरण एवं शॉर्टहैण्ड लिपि है तथा कम्प्यूटर टाइपिंग के लिए संताली का फॉन्ट विकसित कर लिया गया है संताली व्याकरण पर गैर संताल जिसमें विदेशी विद्वान भी शामिल हैं ने व्यापक कार्य किया है।

Authors and Affiliations

डॉ. धनेश्वर मांझी
सहायक प्रोफेसर, संताली विभाग, भाषा भवन, विश्वभारती, शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल।

लिपि, संताली, वर्ण, साहित्य, भाषा, व्याकरण, ध्वनिमूलक।

  1. विद्यानन झा, मैथिली ओ संताली सम्पर्क आ सामीप्य विदित, पृष्ठ 16-19
  2. डॉ. पी. सी. हेम्ब्रम, संताली ए नेचुरल लैंग्वेज, पृष्ठ 10
  3. डॉ. के. सी. टुडू, सानताड़ी पारसी उनुरूम (संताली भाषा परिचय), संताली साहित्य परिषद, रांची, 2005, पृष्ठ 8
  4. प्रो. सनातन हांसदा, नहॉक संताली बेयान (ंआधुनिक संताली व्याकरण), संचयन प्रकाशन, पटना-4, पृष्ठ 3
  5. डॉ. के. सी. टुडू, सानताड़ी पारसी उनुरूम (संताली भाषा परिचय), संताली साहित्य परिषद, रांची, 2005, पृष्ठ 8
  6. पं. रघुनाथ मुर्मू, रोनोड़ (ए संताली ग्रामर इन संताली), आसेका (उड़ीसा), रायरंगपुर, 1993, पृष्ठ 7
  7. डॉ. डोमन साहु ‘समीर’, हिन्दी और संतालीरू तुलनात्मक अध्ययन, पृष्ठ 46
  8. श्री सुशील हेम्ब्रम, संताली साहित्य रेयाक् इतिहास, 1992, पृष्ठ 17
  9. पं. रघुनाथ मुर्मू, रोनोड़ (ए संताली ग्रामर इन संताली), आसेका (उड़ीसा), रायरंगपुर, 1993, पृष्ठ 6 - 7
  10. डॉ. के. सी. टुडू, सानताड़ी पारसी उनुरूम (संताली भाषा परिचय), संताली साहित्य परिषद, रांची, 2005, पृष्ठ 9 - 11
  11. श्री सुशील हेम्ब्रम, संताली साहित्य रेयाक् इतिहास, 1992, पृष्ठ 18 - 23

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020
Date of Publication : 2020-07-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 89-94
Manuscript Number : GISRRJ21347
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. धनेश्वर मांझी, "लिपियों का प्रयोग और संताली वर्णों में विविधता ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 4, pp.89-94, July-August.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21347

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