Manuscript Number : GISRRJ214412
मैथिली कथा साहित्यमे डाॅ. इन्दिरा झाक अवदान
Authors(1) :-डाॅ. ध्रुवज्योति कुमार सिंह संसारक समस्त जीव-जन्तुकेँ ईश्वर बजबाक लेल मुँह देने छथि आ सभ जीव-जन्तु अपन आवश्यकताक अनुसारेँ बजैत अछि। मनुक्ख एकर अपवाद नहि अछि। मनुक्ख सेहो आवश्यकताक अनुसारेँ बजैत अछि। भलहिँ दोसराक दृष्टिमे आवश्यकतासँ कम वा बेसी बजैत अछि। ई दोसर बात थीक जे लोकक बाजब नीक होइत अछि वा अघलाह। कारण लोक इएह मुँहसँ नीक बात सेहो बजैत अछि आ अघलाह बात सेहो। नीक बातकेँ कर्णप्रिय कहल जाइत अछि आ अघलाह बातकेँ कर्णकटू कहल जाइत अछि। हँ, ई भिन्न गप अछि एकहि बात सभक लेल कटू वा प्रिय नहि भ सकैत अछि। ई बात व्यक्ति-व्यक्तिपर निर्भर करैत अछि। नीक आ अघलाह बातकेँ लऽ कऽ कहलो गेल अछि
डाॅ. ध्रुवज्योति कुमार सिंह Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021 Article Preview
अध्यक्ष, मैथिली विभाग, साहिबगंज कॉलेज साहिबगंज, भारत।
Date of Publication : 2021-08-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 70-78
Manuscript Number : GISRRJ214412
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214412