कृदन्त में तकनीकी शब्दों की व्याख्या

Authors(1) :-डॉ. सुभाषचन्द्र मीणा

पाणिनीय अष्टाध्यायी के तृतीय अध्याय में धातु से होने वाले प्रत्ययों का विधान किया गया है । धातु से दो प्रकार के ही प्रत्यय होते हैं तिङ् प्रत्यय तथा कृत्प्रत्यय । ‘कृदतिङ्’ से जिनकी कृत्संज्ञा होती है वे सभी कृत्प्रत्यय कहलाते हैं जैसे अण् अत्, अनीयर । धातु से होने वाले प्रत्ययों में तिङ् प्रत्ययों को छोडकर शेष सारे प्रत्यय कृत् कहलाते हैं । कृत् प्रत्यय लगने से वह कृदन्त बन जाता है तथा उसकी प्रतिपादिक संज्ञा होने से पश्चात् विभक्ति आने पर पद बन जाता है । कृदन्त प्रकरण में पठित सूत्रों में व्याकरण शास्त्र की दृष्टि से विभिन्न तकनीकी शब्दों का प्रयोग हुआ है । सूत्रों में पठित तकनीकी शब्दों का विवेचन यहाँ क्रमशः किया जा रहा है ।

Authors and Affiliations

डॉ. सुभाषचन्द्र मीणा
सहायकाचार्य (व्याकरण विभाग) केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, क. जे. सोमैया परिसर, मुम्बई, भारत।

तकनीकी, कृदन्त, पाणिनीय, अष्टाध्यायी, प्रत्यय, पारिभाषिक, सूत्र ।

  1. अष्टाध्यायी – 3 / 1 / 133
  2. पाणिनीय सूत्र – 2-1-33
  3. अष्टाध्यायी – 2-3-71
  4. सिद्धान्तकौमुदी – 7-3-52
  5. पाणिनि सूत्र – 1-1-69
  6. अष्टाध्यायी – 3-1-134
  7. पाणिनि सूत्र – 1-1-26
  8. सिद्धान्त कौमुदी – 3-2-124
  9. अष्टाध्यायी – 3 / 4 / 9
  10. व्याकरणमहाभाष्ये
  11. अष्टाध्यायी – 3-1-12
  12. पा. सू. – 3-2-162
  13. अष्टाध्यायी – 6-4-96
  14. पाणिनिन सूत्र – 3 / 4 / 74
  15. महाभाष्ये (3 / 3 / 104 वार्तिक)
  16. अष्टाध्यायी - 7-1-37
  17. पा. सू. - 7-1-38
  18. अष्टाध्यायी – 3-4-54
  19. काशिकावृत्ति –
  20. अष्टाध्यायी – 3-3-37
  21. काशिका वृत्ति – 3-3-37

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021
Date of Publication : 2021-08-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 37-43
Manuscript Number : GISRRJ21448
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. सुभाषचन्द्र मीणा, "कृदन्त में तकनीकी शब्दों की व्याख्या ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 4, pp.37-43, July-August.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21448

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