Manuscript Number : GISRRJ21448
कृदन्त में तकनीकी शब्दों की व्याख्या
Authors(1) :-डॉ. सुभाषचन्द्र मीणा पाणिनीय अष्टाध्यायी के तृतीय अध्याय में धातु से होने वाले प्रत्ययों का विधान किया गया है । धातु से दो प्रकार के ही प्रत्यय होते हैं तिङ् प्रत्यय तथा कृत्प्रत्यय । ‘कृदतिङ्’ से जिनकी कृत्संज्ञा होती है वे सभी कृत्प्रत्यय कहलाते हैं जैसे अण् अत्, अनीयर । धातु से होने वाले प्रत्ययों में तिङ् प्रत्ययों को छोडकर शेष सारे प्रत्यय कृत् कहलाते हैं । कृत् प्रत्यय लगने से वह कृदन्त बन जाता है तथा उसकी प्रतिपादिक संज्ञा होने से पश्चात् विभक्ति आने पर पद बन जाता है । कृदन्त प्रकरण में पठित सूत्रों में व्याकरण शास्त्र की दृष्टि से विभिन्न तकनीकी शब्दों का प्रयोग हुआ है । सूत्रों में पठित तकनीकी शब्दों का विवेचन यहाँ क्रमशः किया जा रहा है ।
डॉ. सुभाषचन्द्र मीणा तकनीकी, कृदन्त, पाणिनीय, अष्टाध्यायी, प्रत्यय, पारिभाषिक, सूत्र । Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021 Article Preview
सहायकाचार्य (व्याकरण विभाग) केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, क. जे. सोमैया परिसर, मुम्बई, भारत।
Date of Publication : 2021-08-30
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Page(s) : 37-43
Manuscript Number : GISRRJ21448
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21448